Yogi Adityanath Oath Ceremony : योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दूसरी बार शपथ ली है। लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपई इकाना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में करीब 75,000 लोगों के बीच योगी आदित्यनाथ ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है। उन्होंने इतिहास रच दिया है। पिछले 35 वर्षों में कोई मुख्यमंत्री लगातार दूसरी बार इस राज्य की बागडोर नहीं संभाल पाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बॉलीवुड हस्तियां, देशभर के 12 मुख्यमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट के 20 सदस्य, सन्त-सन्यासी, उद्योगपति, दिग्गज नेता, प्रदेशभर से आए युवाओं और महिलाओं की मौजूदगी में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण की है।
सामान्य परिवार से सत्ता शिखर तक
योगी आदित्यनाथ का उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को अजय सिंह बिष्ट के रूप में जन्म हुआ था, लेकिन वह गोरखपुर पहुंचकर योगी आदित्यनाथ बन गए। वह आज देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं, जहां से होकर रास्ता दिल्ली जाता है। वह महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचे। 45 साल के योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए। आज यूपी की नहीं बल्कि देश की सियासत में उन्हें हिंदुत्व के शक्तिशाली चेहरे के तौर पर जाना जाता है।
राजपूत परिवार से सन्यासी बाबा
योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के सामान्य राजपूत परिवार में हुआ था। पिता आनंद सिंह बिष्ट और माता सावित्री देवी हैं। योगी ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की। 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की। जब वह स्नातक कर रहे थे, तभी राम मंदिर आंदोलन शुरू हो गया और वह छात्र जीवन में होने के बावजूद राममंदिर आंदोलन से जुड़ गए।
अयोध्या से गोरखनाथ मठ पहुंचे
90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान योगी आदित्यनाथ की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम हुई थी। इसके कुछ दिनों बाद योगी अपने माता-पिता को बिना बताए गोरखपुर पहुंच गए। उन्होंने संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु दीक्षा ले ली। महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के रहने वाले थे। उन्होंने अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बना दिया।
मथ से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया। गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे। उसी सीट से योगी 1998 में केवल 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे। वह गोरखपुर से लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे।
सख्त हिंदूवादी चेहरे के रूप में उभरे
सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरकर सामने आई। उन्होंने सांसद रहते गोरखपुर जिले को अपने नियमों से चलाया। त्वरित फैसलों से सबको चकित किया। इसी के चलते योगी के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह का समाजवाद भेद पाया और न ही मायावती की सोशल इंजीनियरिंग वहां कोई काम कर पाई। गोरखपुर में हमेशा योगी का हिंदुत्व कार्ड हावी रहा।
योगी ने खड़ी की हिंदू युवा वाहिनी
योगी आदित्यनाथ ने अपना संगठन हिंदू युवा वाहिनी खड़ा किया। यह संगठन गौ सेवा करने और हिंदू विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया था। हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया, जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका। एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि योगी आदित्यनाथ ने बना ली थी।
जनता से सीधा संवाद रखते हैं योगी
योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी योगी के हाथ लगी। योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति को जाहिर कर दिया। हालांकि, प्रदेश में हुए एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उंगलियां उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका खास प्रभाव नहीं हुआ। कोरोना संकट में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नजर आए हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और इजाफा हुआ है। योगी आदित्यनाथ ने देश में एक इतिहास रचा है। योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं।
लोकसभा, विधान परिषद और अब विधानसभा में योगी
जैसा हमने आपको बताया योगी आदित्यनाथ 5 बार सांसद रहकर करीब 20 वर्षों तक संसद में रहे। जब वह वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए तो विधान परिषद की सदस्यता हासिल की। इस बार उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। उन्हें पहले भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या से चुनाव लड़ने की योजना बनाई लेकिन बाद में गोरखपुर सीट से टिकट दिया गया। योगी आदित्यनाथ ने शानदार जीत हासिल की है। वे उत्तर प्रदेश के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हो चुके हैं, जो लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा, मतलब तीनों साधनों के सदस्य रहे हैं।