Tricity Today | लक्ष्मीकांत बाजपेई, जितिन प्रसाद और संजय निषाद
LUCKNOW : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले होने वाले योगी कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। दिल्ली में हाईकमान के साथ लगातार हो रही बैठकों में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जातिगत समीकरण को साधने की भी कोशिश की जा रही है। इनमे यूपी से ताल्लुक रखने वाले छोटे दल के अलावा ब्राह्मण वोट बैंक पर खास नजर होगी। अभी हालही में यूपी से जुड़े 7 सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह देकर पूरे यूपी में ओबीसी, ब्राह्मण, पिछड़े अति पिछड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई।
पिछड़े वोटरों को लेकर होगी बैठक
संजय निषाद ने बताया कि 10 दिन के अंदर हम फिर विधानसभा की सीटों को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बैठक करेंगे। यूपी में अपनी सीटों के लिए हम निषाद पार्टी की कोर कमेटी के साथ शनिवार को गोरखपुर में बैठक करेंगे, जिसमें यह तय होगा कि उत्तर प्रदेश की वे 70 विधानसभा सीटें हमें मिलें, जहां पर मछुआरा, मल्लाह, निषाद वोटों का सबसे ज्यादा प्रभाव है।
संजय निषाद भी हुए बैठक में शामिल
गुरुवार को नड्डा और शाह के साथ हुई बैठक में सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुनील बंसल या फिर स्वतंत्र सिंह ही नहीं हुई बल्कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी मीटिंग में मौजूद थे। संजय निषाद एमएलसी और मंत्री बनने के लिए लगातार दवाब बना रहे हैं। इसके अलावा संजय निषाद यूपी में मल्लाह (निषाद) समुदाय के आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं।
इन चार नामों पर चर्चा
एमएलसी के लिए जिन चार लोगों की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है उसमें निषाद पार्टी के संजय निषाद, जितिन प्रसाद, लक्ष्मीकांत बाजपेई और अति पिछड़ी जाति से एक नाम हो सकता है। इस तरह बीजेपी यूपी में पिछड़ों और ब्राह्मणों को साधने की रणनीति अपना सकती है, क्योंकि विपक्ष इन्हीं दोनों पर घेरने में जुटा है।
लक्ष्मीकांत बाजपेयी है ब्राह्मणों के कद्दावर नेता
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान लक्ष्मीकांत बाजपेयी के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहने के दौरान ही पार्टी ने प्रदेश में उम्दा प्रदर्शन किया था। लेकिन उसके बाद 2017 के चुनाव में लक्ष्मीकांत बाजपेई मेरठ की शहर विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। बाजपेयी क्षेत्र के एक धुरंधर नेता माने जाते हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरीके से पार्टी के किसी नेता को भी नाराज नहीं रखना चाहती है। इसके चलते एकाएक लक्ष्मीकांत बाजपेई के साथ पार्टी के आला नेताओं की मुलाकातों का दौर शुरू हो चुका है। लक्ष्मीकांत बाजपेयी ब्राह्मणों के कद्दावर नेता माने जाते है।