Ghaziabad News : उत्तर प्रदेश शासन ने लोकसभा चुनाव से पहले कई आईएएस अधिकारियों के तबादले हुए हैं। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को अब पूर्णकालिक उपाध्यक्ष मिल गया है। बता दें कि अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स को जीडीए का वीसी बनाया गया है। शासन ने बीते 6 वर्षों से गाजियाबाद के जिलाधिकारी को ही जीडीए के वीसी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा हुआ था। पिछले डेढ़ माह से गाजियाबाद के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह जीडीए के अतिरिक्त प्रभार की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। माना जा रहा है कि जीडीए को पूर्णकालिक वीसी मिल जाने से लोगों के रुके हुए कार्यों में तेजी देखने को मिलेगी।
यह है पूरा मामला
बीते कई वर्षों से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) का अतिरिक्त प्रभार गाजियाबाद में तैनात जिलाधिकारी ही संभाल रहे थे। वर्ष 2016 में तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा स्टडी लीव पर विदेश गई थी, तब शासन ने तत्कालीन जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी को जीडीए का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था, जिसके बाद वर्ष 2017 में कंचन वर्मा वापस विदेश से वापस लौटी और उन्हें फिर से जीडीए उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कंचन वर्मा के तबादले के बाद जीडीए उपाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार तत्कालीन जिलाधिकारी रहे राकेश कुमार सिंह को सौंप दिया गया था। शासन द्वारा 30 जनवरी 2024 को गाजियाबाद डीएम राकेश कुमार सिंह का तबादला जिलाधिकारी कानपुर के पद पर किया गया था। राकेश कुमार सिंह के स्थान पर इंद्र विक्रम सिंह को गाजियाबाद का नया जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था। तब शासन ने उन्हें जीडीए का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा था। पिछले डेढ़ माह से गाजियाबाद डीएम ही जीडीए उपाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं। अब अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में तैनात अतुल वर्मा को पूर्णकालिक जीडीए उपाध्यक्ष के पद पर तैनात किया गया है। इससे आम लोगों के कार्यों में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
कौन हैं अतुल वत्स
हरियाणा के बहादुरगढ़ जनपद में स्थित कुलासी गांव के मूल निवासी अतुल वत्स का परिवार वर्तमान में सोनीपत में निवासी करता है। पिता सतीश कुमार आर्मी से रिटायर्ड है और कारगिल युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवा चुके हैं। अतुल वत्स की शिक्षा हरियाणा के सैनिक स्कूल से हुई है। 12वीं कक्षा में उन्होंने 92% अंक हासिल किए थे। उन्होंने आगे की शिक्षा चंडीगढ़ स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से की है। अतुल वत्स ने कॉलेज से बीटेक करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की तलाश शुरु कर दी। जिसके बाद उन्हें जिंदल कंपनी में लाखों रुपए के पैकेज पर असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी मिली, लेकिन पिता की इच्छा थी कि वह प्रशासनिक सेवा में अपना करियर बनाएं। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2014 में नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। खास बात यह रही कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी की परीक्षा दी और वर्ष 2015 में सिविल सर्विस परीक्षा में 60वीं रैंक हासिल की थी। जिसके बाद उनका पहला चयन इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के रूप में हुआ था।