हाईस्कूल पास नटवरलाल ने कैसे दिया करोड़ों की ठगी को अंजाम

गाजियाबाद में साइबर ठगी : हाईस्कूल पास नटवरलाल ने कैसे दिया करोड़ों की ठगी को अंजाम

हाईस्कूल पास नटवरलाल ने कैसे दिया करोड़ों की ठगी को अंजाम

Tricity Today | साइबर थाना पुलिस की हिरासत में ऋषभ राजपूत और सुमित कुमार रावत।

Ghaziabad News : वो केवल हाईस्कूल तक पढ़ा था, अच्छे- अच्छे पढ़े लिखों से अधिकारी बनकर बात करता और उन्हें बेवकूफ बनाकर पैसा ट्रांसफर करा लेता। पैसा ट्रांसफर कराने के लिए वह बैंक खाता इस्तेमाल करने की एबज में 25 प्रतिशत कमीशन देता था और हैल्पर के तौर पर 15 हजार रुपये की नौकरी पर एक बीसीए पास युवक रखा हुआ था। हैल्पर का काम डेटा से नंबर निकालकर ऐसे ग्राहकों को कॉल करना था, जिन्होंने प्रीमियम जमा न किया हो। पॉलिसी लैप्स होने का डर दिखाकर उन्हें बताए गए खाते में प्रीमियम का पैसा ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता था। ग्राहक के संतुष्ट न होने पर मुंबई आफिस में बात कराने की बात कहकर हैल्पर अपने हाईस्कूल पास बॉस को कॉल ट्रांसफर कर देता था।

नौ राज्यों के 39 पॉलिसी होल्डर्स को चूना लगा चुके हैं
एडीसीपी (क्राइम) सच्चिदानंद ने बताया कि हाईस्कूल पास गुरू और बीसीए पास चेला करीब 10 करोड़ की ठगी को अंजाम देने के बाद साइबर थाना पुलिस के हत्थे चढ़ गए। गुरू- चेले के द्वारा अभी तक हुई जांच में नौ राज्यों के 39 एचडीएफसी लाइफ पॉलिसी होल्डर्स को चूना लगाने का मामले सामने आ चुका है, इनमें गाजियाबाद के भी दो ग्राह‌क हैं। शातिरों ने प्रीमियम जमा कराने के नाम पर कौशांबी निवासी रजनी गोयल को चार लाख रुपये का और कविनगर निवासी साक्षी को एक लाख रुपये का चूना लगाया था। पॉलिसी रिन्यू न होने पर रजनी और साक्षी ने मामले की शिकायत साइबर थाने में की थी, उसके बाद साइबर थाना पुलिस शातिरों के पीछे लगी।

जानिए हाईस्कूल पास नटवरलाल के बारे में
एडीसीपी (क्राइम) सच्चिदानंद ने बताया कि यह हाईस्कूल पास नटवरलाल बनारस के पांडेयपुरी इलाके में रहने वाला ऋषभ राजपूत है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित 14 एवेन्यू सोसायटी में रहने वाले  शातिर दिमाग ऋषभ ने हाईस्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और बनारस से नोएडा आ गया। उसने नोएडा के एक कॉल सेंटर में काम करने के दौरान एचडीएफसी लाइफ के करीब एक लाख ग्राहकों को डेटा चोरी कर लिया था। सीनियर्स को चाय- पानी ‌पिलाकर यह शातिर ऐसा लोगों के दिलों में उतरा कि एक लाख से अधिक कस्टमर्स का डेटा निकालने में कामयाब हो गया। उसके बाद ऋषभ ने नौकरी छोड़ दी और डेटा के ‌जरिए ग्राहकों से प्रीमियम का पैसा ऐंठने में लग गया।

बीसीए पास सुमित को बनाया हैल्पर
ऋषभ ने विजयनगर के सेक्टर-12 निवासी सुमित कुमार रावत से संपर्क किया। वह बीसीए पास करने के बाद नौकरी की तलाश में था। ऋषभ ने सुमित को 15 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी पर रख लिया। सुमित का काम एचडीएफसी लाइफ के डेटा से ऐसे ग्राहकों को कॉल करना, जिन्होंने प्रीमियम जमा न किया हो। प्रीमियम जमा करने के लिए कॉल करने के साथ ही उन्हें शातिर कमीशन पर लिया बैंक खाता उपलब्ध कराते थे और उस खाते में पैसा ट्रांसफर कराने के बाद एचडीएफसी लाइफ की फर्जी रसीद भी भेज देते थे। किसी ग्राहक संतुष्ट न होने पर सुमित मुंबई में अपने अधिकारी से बात कराने का झांसा देकर कॉल ऋषभ को ट्रांसफर कर देता था, उसके बाद ऋषभ ग्राहकों को हैंडल करता था।

फहाद उपलब्ध कराता था खाते और सिम
इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए बदल बदलकर सिम और बैंक खाते इस्तेमाल किए जाते थे।सिम और बैंक खाते उपलब्ध कराने का काम वैशाली निवासी फहाउद्दीन उर्फ फहाद का था। इस काम के लिए लिए वह 25 प्रतिशत कमीशन लेता था। फहाद के दिए हुए खाता नंबरों में सुमित और ऋषभ जो रकम ट्रांसफर कराते थे, उसमें से अपना 25 प्रतिशत कमीशन काटकर फह‌ाद बाकी 75 प्रतिशत रकम ऋषभ को लौटा देता था।

वीकेंड पर हिल स्टेशन जाते थे शातिर
एडीसीपी सच्चिदानंद के मुताबिक पूछताछ के दौरान ऋषभ और सुमित ने बताया कि वह लगभग हर वीकेंड पर मौज मस्ती करने के लिए किसी हिल स्टेशन पर चले जाते थे। पुलिस ने ऋषभ और सुमित के कब्जे से चार मोबाइल, चार सिम, दो पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, पांच डेबिट कार्ड बरामद किए हैं। पुलिस का कहना है कि वैशाली निवासी फहाद अभी फरार है। फहाद कमीशन पर बैंक खाते उपलब्ध कराता था।

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