Greater Noida West : शाहबेरी क्षेत्र में हाईकोर्ट द्वारा जारी यथास्थिति के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। जिससे यह क्षेत्र ईमानदार अधिकारियों के लिए एक जटिल समस्या बन गया है। खसरा संख्या 302 की 25 बीघा कृषि भूमि का मामला भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का केंद्र बन गया है। जहां रियल एस्टेट कंपनियों और स्थानीय बिल्डरों ने मिलकर अवैध निर्माण कर बड़ी संख्या में लोगों को ठगा है।
बिल्डरों की धोखाधड़ी से काफी लोग परेशान
विवादित भूमि आशेराम, जिले सिंह, राजपाल और श्योराज सिंह द्वारा 2018 में रियल एस्टेट कंपनियों को बेचा गया था। अब अवैध निर्माण के लिए कुख्यात हो चुकी है। इस भूमि पर छोटे-छोटे प्लॉट और डुप्लेक्स के साथ सिम्पलेक्स घर बनाकर इसे नोएडा एक्सटेंशन का हिस्सा बताया गया। हजारों लोगों ने यहां घर खरीदे, लेकिन अब वे ठगी का शिकार हो चुके हैं।
प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार
शाहबेरी में करीब 85 प्रतिशत कृषि भूमि पर अवैध निर्माण कार्य हो चुका है। सवाल यह है कि यह सब कैसे और क्यों हुआ? स्थानीय प्राधिकरण और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की क्षेत्र में उपस्थिति का अभाव और निचले स्तर के कर्मचारियों द्वारा मौके का फायदा उठाना इस पूरे प्रकरण में भ्रष्टाचार की पुष्टि करता है।
अफसरों की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय पुलिस और प्राधिकरण की मिलीभगत के चलते अवैध निर्माण कार्य रोका नहीं जा सका। प्राधिकरण की टीमें जब भी अवैध निर्माण रोकने जाती हैं। पुलिस पहले ही बिल्डरों और संबंधित पक्षों को सतर्क कर देती है। शिकायत मिलने पर भी पुलिस आरोपी पक्ष को बचाने के रास्ते सुझा देती है। इस पूरे प्रकरण का सबसे बड़ा नुकसान उन हजारों परिवारों को हुआ है, जिन्होंने अपनी जीवन भर की पूंजी लगाकर यहां घर खरीदे। अब ये परिवार न सिर्फ कानूनी दांव-पेच में फंसे हुए हैं, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण उनके घरों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।