Ghaiabad/UP News : विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड में उनके शिष्य डीपी यादव जेल गए और अब रिहा भी हो गए, लेकिन अब डीपी यादव अपने ऊपर लगे सभी दागों को हटाना चाहते है। इसको लेकर बुधवार को पूर्व सांसद व बाहुबली डीपी यादव ने गाजियाबाद के एसएसपी से मुलाकात की और अपने नाम के आगे से हिट्रीशीटर हटवाने की मांग की है। डीपी यादव इस समय कविनगर थानाक्षेत्र के राजनगर में रहते हैं।
डीपी यादव ने गाजियाबाद के एसएसपी से लगाई गुहार
डीपी यादव की उम्र इस समय 74 वर्ष है। बुधवार को उन्होंने गाजियाबाद के एसएसपी से मुलाकात की और प्रार्थना-पत्र देकर गुहार लगाई कि अब वह बूढ़े हो चुके हैं और तमाम बीमारियों से ग्रसित हैं। लिहाजा अब तो हिस्ट्रीशीट खत्म कर दीजिए। डीपी यादव ने अपने बचाव में सभी मामलों में निर्दोष साबित होने का हवाला भी दिया है। भले ही वो जेल से रिहा हो गए, लेकिन आज भी उनके ऊपर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज है। डीपी यादव आज भी कविनगर थाने के हिस्ट्रीशीट है। शराब, कंस्ट्रक्शन, और राजनैतिक मामलों में डीपी यादव पर यूपी के अलावा दिल्ली और हरियाणा में भी संगीन धाराओं में केस दर्ज हुए।
10 नवंबर 2021 को जेल से छूटे
आपको बता दें कि 10 नवंबर 2021 को गौतमबुद्ध नगर के दिग्गज नेता महेंद्र सिंह भाटी हत्याकांड मामले में डीपी यादव बरी हो गए थे। उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह फैसला लिया था। महेंद्र भाटी हत्याकांड में डीपी यादव के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं मिले, जिसके बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए डीपी यादव को बाइज्जत बरी कर दिया था।
नैनीताल हाईकोर्ट ने डीपी यादव को किया था रिहा
इस मामले नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा था, "महेंद्र सिंह भाटी हत्याकांड मामले में डीपी यादव के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है। इसलिए उनको बाइज्जत बरी किया जाता है।" आपको बता दें कि महेंद्र सिंह भाटी हत्याकांड में 15 फरवरी 2015 को सीबीआई कोर्ट ने डीपी यादव के खिलाफ फैसला सुनाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद डीपी यादव और उनके अन्य साथियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में सीबीआई के फैसले को चुनौती दी थी।
दादरी में हुई थी हत्या महेंद्र सिंह भाटी की हत्या
आज से 27 साल पहले 13 सितम्बर 1992 को दादरी के तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह भाटी की दादरी में हत्या कर दी गई थी। महेंद्र सिंह भाटी को गौतम बुडडीह नगर के शेर नेता कहा जाता था। महेंद्र सिंह भाटी के एक घनिष्ठ दोस्त और यूपी के दिवंगत मंत्री रवि गौतम ने एक जनसभा में कहा था कि, जब से महेंद्र सिंह भाटी गए है, तब से राजनीति में मजा ही चला गया है। उनके जैसा नेता कभी पैदा नहीं हो सकता।"
एके-47 से हुई थी हत्या
13 सितंबर 1992 को हुई उस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया। अपराध और राजनीति के घालमेल की कलई खोलकर रख दी थी। एक विधायक की हत्या हुई थी। इस हत्या में एके-47 इस्तेमाल की गई थी। जिस समय महेंद्र सिंह भाटी की हत्या के समय डीपी यादव बुलन्दशहर के तत्कालीन विधायक थे। आपको बता दें कि महेंद्र सिंह भाटी और डीपी यादव में बहुत ही गहरा रिश्ता था। महेंद्र सिंह भाटी, डीपी यादव के राजनीतिक गुरू थे।