Tricity Today | रात में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन पर बैठे किसान
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है। दिन के अलावा रात में भी किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर आंदोलन में बैठे रहते हैं। मौसम बदल रहा है। इसी के साथ ठंड का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन किसान अपनी बातों और मांगों पर अडिग है। किसानों का कहना है कि यह उनके हक की लड़ाई है, जिसको अब अधूरा नहीं छोड़ा जाएगा। यह जंग हमारी उत्तर प्रदेश सरकार और प्राधिकरण से हैं।
किसानों की भीड़ से अफसर परेशान
एक बड़ी बात यह भी है कि दूसरी रात को काफी संख्या में किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ हो रहे आंदोलन में पहुंचे। पहली रात को भीड़ कम थी, लेकिन दूसरी रात को किसानों की संख्या अधिक दिखाई दी। बताया जा रहा है कि भीड़ को बढ़ता हुआ देख अधिकारी परेशान है। यह आक्रोश किसानों के भीतर लगातार फैलता जा रहा है। लाखों किसान प्रभावित हैं। उनकी मांग है कि समस्या का समाधान हो और अगर नहीं हुआ तो गुस्सा ज्यादा बढ़ जाएगा। इसको लेकर ग्रेटर नोएडा के अधिकारी चिंतित हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं सुनी तो केंद्र तक जाएगी आवाज
किसान नेता जगबीर नंबरदार ने बताया कि अब रात-दिन किसान आंदोलन कर रहे हैं। काफी संख्या में माताएं-बहनें इस आंदोलन का हिस्सा बनी हुई है। अगर यहां से कोई समाधान नहीं होता है तो दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बात पहुंचाने के लिए कूच किया जाएगा, लेकिन इंसाफ की लड़ाई अंतिम सांस तक लड़ी जाएगी। तैयारी की गई है कि अगर आने वाले समय में उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं सुनी तो दिल्ली में अपनी बात को रखा जाएगा। इसके लिए किसी भी कठिनाई से गुजरना पड़े, उसके लिए किसान तैयार है। क्योंकि यह उनके हक और ईमान की लड़ाई है।
2 दिसंबर को दिल्ली रवाना
डॉ.रूपेश वर्मा ने बताया कि आगामी 28 नवंबर को ग्रेटर नोएडा से चलकर यमुना प्राधिकरण पर किसान धरने पर बैठेंगे। उसके बाद यमुना प्राधिकरण पर एक दिसंबर तक आंदोलन चलेगा। फिर 2 दिसंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा, जहां पर पीएम मोदी के सामने किसानों के प्रस्ताव को पेश करने का प्रयास किया जाएगा।
क्या हैं किसानों की मांगें?
गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए चार गुना मुआवजा दिया गया। जबकि गौतमबुद्ध नगर को चार गुना मुआवजे के लाभ से वंचित रखा गया है। इतना ही नहीं 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है। नए कानून के लाभ जिले में लागू करने पड़ेंगे। किसानों की प्रमुख मांगों में 10 फीसदी विकसित भूखंड, हाई पावर कमेटी की सिफारिशों और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ दिया जाना शामिल है। ये सारे निर्णय शासन स्तर पर लिए जाने हैं। ऐसे में प्राधिकरण और प्रशासन के अधिकारी किसानों को कोई ठोस आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं।