उत्तर प्रदेश सरकार के हित में सुनाया फैसला, इन लोगों की याचिका खारिज

यमुना प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत : उत्तर प्रदेश सरकार के हित में सुनाया फैसला, इन लोगों की याचिका खारिज

उत्तर प्रदेश सरकार के हित में सुनाया फैसला, इन लोगों की याचिका खारिज

Tricity Today | सुप्रीम कोर्ट और यमुना प्राधिकरण

Greater Noida News : सुप्रीम कोर्ट ने यमुना प्राधिकरण की विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के तात्कालिक प्रावधानों के इस्तेमाल को सही ठहराया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम (1984) के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को बहाल रखते हुए इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।  

तात्कालिक प्रावधानों के इस्तेमाल को सही ठहराया
पीठ ने राज्य सरकार के उस फैसले को वैध करार दिया, जिसमें भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 5-ए के तहत आपत्तियों की सुनवाई को दरकिनार करते हुए धारा 17(1) और 17(4) के तात्कालिक प्रावधानों को लागू किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने बड़े पैमाने की विकास परियोजना के लिए इस तरह के प्रावधानों की आवश्यकता थी, जिससे उत्तर प्रदेश के समग्र विकास को गति मिल सके।  

कोर्ट ने कहा- एकीकृत विकास के लिए भूमि अधिग्रहण आवश्यक
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि यमुना एक्सप्रेसवे से सटी भूमि का अधिग्रहण एकीकृत और सुनियोजित विकास के उद्देश्य से किया गया था। अदालत ने कहा कि इस विशाल परियोजना से क्षेत्र के समग्र विकास को बल मिलेगा। इसके आसपास के क्षेत्रों की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।  

ऐसी तो बदलेगा उत्तर प्रदेश
अदालत ने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाएं न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूत करती हैं, बल्कि क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा देती हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यमुना प्राधिकरण की विकास योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। जिससे उत्तर प्रदेश के औद्योगिक और आवासीय विकास को नई दिशा मिलेगी।

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