Tricity Today | विधानसभा उपचुनाव में भाजपा, सपा, बसपा और आसपा प्रत्याशी
Ghaziabad News : नेताओं के लिए पार्टी बदलना कपड़े बदलने से ज्यादा नहीं रह गया है, लेकिन इस बार एक बड़ा संयोग यह है कि गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में सभी प्रमुख उम्मीदवार घाट- घाट का पानी पीकर यहां तक पहुंचे हैं। भाजपा, सपा, बसपा और आसपा, सभी तो दल बदलुओं के भरोसे चुनाव मैदान में हैं। अब फैसला जनता को करना है, इसलिए सभी जनता के द्वार हैं। जनता अपना फैसला 13 नवंबर को लिख देगी, परिणाम के लिए 10 दिन का इंतजार करना होगा।
भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा
बात सबसे बड़ी पार्टी कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी से शुरू करते हैं। भाजपा ने अपने महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। संजीव शर्मा 2007 से भाजपा में हैं। भाजपा से पहले वह समाजवादी पार्टी में रहे हैं। अन्य से वह इसलिए थोड़े अलग है कि पिछले 17 वर्षों से भाजपा से जुड़े हैं, हालांकि सपा से भाजपा में आए थे, दलबदलू तो उन्हें भी कहा ही जाएगा।
सपा प्रत्याशी सिंहराज जाटव
गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी सिंहराज कुछ दिनों पहले तक बसपाई हुआ करते थे। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने हाथी को छोड़कर साइकिल की सवारी शुरू की है। सिंहराज बसपा में मंडल कोर्डिनेटर हुआ करते थे, वह गाजियाबाद नगर निगम के पार्षद भी रहे हैं। एक बात और है जो उन्हें अन्य से अलग करती है। सिंहराज अकेले ऐसे प्रत्याशी हैं, जो लाइनपार क्षेत्र से आते हैं।
बसपा प्रत्याशी परमानंद गर्ग
बहुजन समाज पार्टी ने हाल में ही सपा छोड़कर आए परमानंद को प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी में परमानंद गर्ग प्रदेश महासचिव हुआ करते थे। उन्हें सपा से इस्तीफा दिए अभी एक माह का समय पूरा नहीं हुआ। नगर निगम चुनाव में उनकी पत्नी नीलम गर्ग को पार्टी से प्रत्याशी बनाया गया लेकिन अंतिम समय में उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई। थोड़ा पीछे चलें, परमानंद गर्ग 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर साइकिल पर सवार हुए थे।
आसपा प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी फिलहाल कई बर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं, लेकिन दल बदलू होने की बात करें तो विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों में वही सबसे ज्यादा घाटों का पानी पीकर यहां तक पहुंचे है। सपा और बसपा में सत्यपाल चौधरी दो- दो बार चक्कर मार चुके हैं। 2017 के गाजियाबाद नगर निगम चुनाव के दौरान बसपा से पलटी मारकर सपा ज्वाइन की और फिर एक सप्ताह में वापस बसपा में पहुंचने के बाद उनकी पत्नी मुन्नी चौधरी बसपा के सिबंल मेयर चुनाव लड़ी थीं।