Ghaziabad Police Disclosure He Rose From The Streets Of Gokulpuri To Become Rich In Dubai Know The Whole Story Of Becoming A Billionaire At The Age Of Just 32
गाजियाबाद पुलिस का खुलासा : गोकुलपुरी की गलियों से निकलकर दुबई तक फैलाया जाल, जानिए रातोंरात अरबपति बनने का हश्र
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Ghaziabad News : बचपन से तेज तर्रार जावेद तीसरे दर्ज तक पढ़ाई अपने पिता के साथ कबाड़ का काम करने लगा था, लेकिन कुछ दिन में उसने अपना अलग काम करना शुरू कर दिया था। यानि पिता से सीखना था, और आगे बढ़ गया। यही काम उसने और तमाम लोगों के साथ भी किया। दिल्ली के गोकुल इलाके से दुबई तक की यात्रा के साथ ही पूछताछ के दौरान उगले राज और जावेद की पूरी कहानी तफ्सील से बताएंगे, सब कुछ जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें।
बचपन से ही बाल की खाल निकालने में माहिर था जावेद
दिल्ली गोकुलपुरी के भागीरथी विहार में रहने वाले नसीम का कम्यूटर और मोबाइल के कबाड़ का परंपरागत शैली का काम था। मतलब दिन भर गली- गली फेरी लगाकर कबाड़ खरीदा और शाम को कबाड़ी की दुकान पर जाकर तुलवा दिया, जो बने वो लिए और अपने घर। कबाड़ का आगे क्या होता है, कहां जाता है, कितना पैसा किसको मिलता है, नसीम का इस बात कोई लेना देना नहीं था लेकिन बेटा जावेद ऐसा नहीं था, वह बचपन से बाल की खाल निकालने में माहिर था।
नोटबंदी के चलते फंस गया था काफी कबाड़
उसने कंप्यूटर के कबाड़ से काम शुरू किया और कुछ दिन बाद ही मोबाइल के कबाड़ का काम भी करने लगा। मोबाइल के कबाड़ में ज्यादा लाभ हुआ। कबाड़ मार्केट में भी जावेद ने अपनी पहचान बना ली थी, यह बात करीब आठ साल पहले की रही होगी। इसी बीच नोटबंदी होने गयी, और उसका कबाड़ नहीं बिक पाया। उसने अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए हाथ पैर मारने शुरू किए ताकि कबाड़ निकाला जा सके।
यमुना विहार निवासी अबरार के संपर्क में आया
जावेद कबाड़ निकालने की जुगत में किसी तरह दिल्ली के यमुना विहार में रहने वाले अबरार के संपर्क में आया। जावेद को किसी ने बताया कि अबरार चाइना में कबाड़ी की सप्लाई करता है। वह से जुड़कर अपना पड़ा हुआ कबाड़ निकालने में तो कामयाब हो ही गया, चाईना में कबाड़ खरीदने वाली पार्टियों के सीधे संपर्क में भी आ गया। पार्टिंयों से सीधी पहचान बनाने के बाद उसने अबरार का साथ भी छोड़ दिया।
अबरार के बाद मुस्तफाबाद में दिनेश को पकड़ा
वर्ष 2020 में जावेद की मुलाकात दिल्ली के मुस्तफाबाद में रहने वाले दिनेश से हुई। दिनेश ने ही उसे पहली बार रेडियो रिसीवर यूनिट (आरआरयू) के कबाड़ के बारे में बताया था। उसने जावेद को बताया था कि आरआरयू को तोड़कर बेचने के बजाय पूरा बेचने में फायदा है, मुझे लाकर साढ़े आठ हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद लूंगा। जावेद ने आस-पास के मार्केट से आरआरयू इकट्ठा कर दिनेश को देना शुरू करने के साथ ही इस बात पर दिमाग लगाना शुरु कर दिया दिनेश इतना महंगा आरआरयू खरीदकर इसका क्या करता है।
दिनेश के जेल जाने के बाद उसके संपर्क से दुबई पहुंचा
कबाड़ सप्लाई करते- करते जावेद ने दिनेश से उसके काम के बारे पूरी जानकारी ले ली। पता चला दिनेश आरआरयू को विशाखापट्टनम में बेचता था, वहां से माल दुबई जाता है। इसी बीच दिनेश चोरी के आरआरयू के साथ आगरा से जेल चला गया तो जावेद ने दिनेश के साथ काम करने वाले लड़के से सीधा दुबई का पता लिया और दुबई पहुंच गया। वहाँ जाकर लेवल -3 कंपनी के मालिक अलीमुद्दीन, जो हैदराबाद का रहने वाला था, से मुलाकात की और उसे डायरेक्ट माल अपनी फर्म “कशफ इन्टरप्राईजेज” के नाम से भेजने लगा।
दिनेश से तोड़कर नसीम टिड्ढा को अपने साथ जोड़ा
धीरे-धीरे आरआरयू की डिमांड बढने लगी। इसी बीच दिनेश जेल से छूटकर सीलमपुर के नसीम टिड्ढा के साथ मिलकर फिर से काम करने लगा। बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ चुकी थी, जिससे माल मंहगा खरीदा जाने लगा। वर्ष 2021 में दिनेश फिर दिल्ली के चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने जेल भेज दिया। उसी बीच जावेद ने सीलमपुर वाले नसीम टिड्ढा के साथ मिलकर अपना एक गिरोह बना लिया, जो अलग- अलग राज्यों में जाकर मोबाइल टावर से उपकरण चोरी करता और सीधे जावेद को लोकर बेच देता।
कई राज्यों में चोरी का नेटवर्क वाले ये लोग थे शामिल
गैंग में जावेद के साथ नसीम टिड्डा के अलावा अल्ताफ, सोहेल, वसीम, राहुल गोयल, शुएब, कैफ मलिक, सुमित कसाना, जुबैर, शहजाद, नईम, मेहराजुद्दीन व जावेद का भाई वसीम व इनके सम्पर्क मे आने वाले कई चोर शामिल थे। जो देश के विभिन्न राज्यों से मोबाइल टावरो की रेडियो रिसीवर यूनिट, बैट्री, ड्यूप्लैक्सर व अन्य सामान चोरी करके लाते थे। कभी दिनेश को साढ़े हजार रुपए किलों में बेची जाने वाली आरआरयू को अब जावेद 60 हजार रुपये में खरीदता था और दुबई व हांगकांग में 16 लाख की बेचता था।
कंटेनर से हांगकांग और दुबई भेजता था चोरी के उपकरण
जब 50-60 आरआरयू इकठ्ठी हो जाती थीं तो जावेद अपनी कंपनी से बिल काटकर ट्रांसपोर्ट के जरिये कंटेनर से समुद्री जहाज या हवाई जहाज से वीफोन कम्पनी हॉगकाँग (चीन) तथा लेवल-3 कम्पनी दुबई से ऑर्डर लेकर भेजता रहता था। चाईना व दुबई माल भेजने के लिए स्क्रैप के बिल लगा कर भेजे जाते थे। जितने पैसे बिल पर होते थे उसका लेन-देन एकाउन्ट से तथा बाकी माल का पैसा हवाला के माध्यम से आता था।
अग्रिम जमानत न मिलने पर दुबई भागने का प्रोग्राम बनाया
जावेद ने यह भी बताया कि जब उसके गिरोह के सदस्य जेल चले गये तो वह दुबई भाग गया था । जावेद कुछ समय पहले ही जमानत कराने के इरादे से भारत आया था परन्तु सभी मुकदमों में अग्रिम जमानत नहीं मिल पाने के कारण वह पुनः दुबई भागने के फिराक मे था। जावेद के खिलाफ गाजियाबाद में पांच मुकदमें दर्ज हैं जबकि नोएडा और दिल्ली में एक-एक। इन सभी मामलों में वह अग्रिम जमानत लेना चाहता था।