ग्रेटर नोएडा में 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन भारी ट्रेन 100 की रफ्तार से दौड़ेंगी, बस एक साल बाकी

उपलब्धिः ग्रेटर नोएडा में 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन भारी ट्रेन 100 की रफ्तार से दौड़ेंगी, बस एक साल बाकी

ग्रेटर नोएडा में 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन भारी ट्रेन 100 की रफ्तार से दौड़ेंगी, बस एक साल बाकी

Google Image | एक साल में ग्रेटर नोएडा को बड़ी उपलब्धि मिल जाएगी

ग्रेटर नोएडा बहुत जल्दी देश का सबसे बड़ा और दुनिया का चुनिंदा औद्योगिक शहर बनने जा रहा है। महज एक साल बाद ग्रेटर नोएडा में 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन भारी ट्रेन 100 की रफ्तार से दौड़ती नजर आएंगी। इस परियोजना के शुरू होने में बस एक साल बाकी है। यह काम आसान करने के लिए देश का सबसे बड़ा रिसर्च सेंटर भी शहर में बनाया जा रहा है।

जापान इंटरनेशनल और केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के ट्रैक और मालवाहक ट्रेनों पर शोध और अनुसंधान के लिए नोएडा में बन रहा देश का पहला हैवी हाल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचएचआरआइ) का निर्माण जून तक हो जाएगा। इसका निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआइएल) करा रही है। 

रिसर्च सेंटर में 1,100 करोड़ रुपये की मशीन लगेंगी

मिली जानकारी के मुताबिक इस रिसर्च सेंटर में करीब 1,100 करोड़ रुपये की अत्याधुनिक मशीन लगाई जाएगी। प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकाला जा चुका है। केंद्र के लिए मशीनें अमेरिका, जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया और आस्ट्रिया से आ रही हैं। पहले फेज में यह केंद्र विदेशी विशेषज्ञ संचालित करेंगे। भारतीय इंजीनियर प्रशिक्षण लेंगे। इस केंद्र का मकसद भारत मे नई तकनीक से रेलवे के बुनियादी ढांचे को विश्वस्तर का बनाना है। इसी परिसर में देश दोनों फ्रेट कॉरिडोर (दिल्ली-मुम्बई और अमृतसर कलकत्ता) का कमांड एंड कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका संचालन शुरू होगा। 

मोनाश यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट पर मदद कर रही है

दुनियाभर में रेलवे अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट आस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ रेलवे टेक्नोलाजी ग्रेटर नोएडा रिसर्च सेंटर को स्थापित करने में सहयोग करेगा। डीएफसीसीआईएल के मुताबिक देश के एक कोने से दूसरे कोने तक कम समय में भारी माल पहुंचाने के लिए इस कारिडोर को बनाया जा रहा है। इस तरह के कारिडोर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पहले से ही हैं। वहां शोध हो रहे हैं। एचएचआरआई काम शुरू करेगा तो हमारे देश में भी शोध शुरू हो सकेंगे। 

दोनों कॉरिडोर पर डबल डेकर ट्रेन चलाई जाएंगी

दादरी से मुंबई और कोलकाता से अमृतसर तक बनाए जा रहे फ्रेट कॉरिडोर पर डबल डेकर मालवाहक ट्रेन चलाई जाएंगी। इन दोनों कोरिडोर का जंक्शन दादरी के पास बनाया जा रहा है। यहीं देश का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब भी बनाया जा रहा है। दादरी-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर के लिए इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप का निर्माण ग्रेटर नोएडा में चल रहा है। इन दोनों कॉरिडोर के शुरू होने से सड़क पर मालवाहक वाहनों की संख्या कम होगी।

इस कारिडोर का ट्रैक कुछ जगहों पर एलिवेटेड बनाया गया है। इन ट्रैक पर 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन भारी डबल डेकर मालगाड़ी 100 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ेगी। शोध में भौगोलिक स्थित को ध्यान में रखकर ट्रैक अपग्रेड किया जाएगा। मालवाहक ट्रेनों की क्षमता, गुणवत्ता और रफ्तार पर काम किया जाएगा। इस रिसर्च सेंटर में आवासीय सुविधाएं भी होंगी।

डीएफसीसीआईएल के उप मुख्य परियोजना प्रबंधक वाईपी शर्मा ने कहा, "रिसर्च सेंटर में मशीनरी मंगवाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। जून 2021 तक इंस्टीट्यूट का निर्माण हो जाएगा। करीब 1,100 करोड़ रुपये की मशीन विदेश से आएंगी। अधिकतर मशीन संस्थान में लगेंगी। कुछ मशीनें ट्रेन संचालन और ट्रैक के उपयोग में आएंगी।"

आपको बता दें कि इन दोनों फ्रेट कॉरिडोर के बन जाने से देशभर में औद्योगिक उत्पादन, कृषि उत्पादन और तमाम दूसरे तरह का मालवाहन बेहद आसान हो जाएगा। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वेस्ट यूपी का कोई भी सामान मुंबई तक पहुंचाने में अधिकतम 24 घंटे का समय लगेगा। जिसकी बदौलत सबसे बड़ा फायदा कृषि उत्पादन को मिलने वाला है।

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