यूपी के इस जिले में होते है सबसे ज्यादा साइबर क्राइम, नोएडा से भी बुरा हाल

तेजी से बढ़ रहा अपराध का नया तरीका : यूपी के इस जिले में होते है सबसे ज्यादा साइबर क्राइम, नोएडा से भी बुरा हाल

यूपी के इस जिले में होते है सबसे ज्यादा साइबर क्राइम, नोएडा से भी बुरा हाल

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Greater Noida Desk : भारत में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिससे हजारों लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं। आईआईटी कानपुर से जुड़े "फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन" (FCRF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में अधिकांश साइबर धोखाधड़ी घटनाएं केवल चार राज्यों के 10 जिलों से हो रही हैं। इस सूची में राजस्थान का भरतपुर सबसे ऊपर है, जबकि उत्तर प्रदेश के मथुरा का दूसरा स्थान है। ये जिले साइबर अपराध का गढ़ बन चुके हैं। जहां ओटीपी फ्रॉड, केवाईसी स्कैम, फर्जी कॉल्स और OLX फ्रॉड जैसे मामले व्यापक रूप से सामने आ रहे हैं। 

यूपी में 15% साइबर क्राइम के मामले
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश साइबर अपराध के मामलों में शीर्ष पर है। 2022 से अगस्त 2024 के बीच देश में कुल 38.85 लाख साइबर अपराध कॉल्स दर्ज की गईं। जिनमें से 6.05 लाख कॉल्स उत्तर प्रदेश से थीं। इन मामलों में ठगी की कुल राशि 3,153 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा धोखाधड़ी मोबाइल कनेक्शन के जरिए की जा रही है। यूपी पुलिस ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए अब तक 1.16 लाख से अधिक फर्जी मोबाइल नंबर ब्लॉक किए हैं।

"डिजिटल अरेस्ट" स्कैम नई चुनौती
हाल के दिनों में साइबर अपराधियों ने "डिजिटल अरेस्ट" नामक नई तकनीक अपनाई है। जिसमें वे खुद को पुलिस या अन्य कानूनी एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं। इस स्कैम के तहत अपराधी पीड़ितों को यह बताते हैं कि वे किसी अपराध में शामिल हैं और तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की धमकी देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक खतरनाक फ्रॉड है, क्योंकि अपराधी डर और भ्रम का फायदा उठाकर पीड़ितों से पैसे ठगते हैं।

साइबर अपराधियों तक पहुंचना चुनौती
साइबर अपराधों से निपटना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अधिकांश धोखाधड़ी कॉल्स व्हाट्सएप और अन्य VOIP सेवाओं के माध्यम से की जाती हैं, जिनका पता लगाना कठिन होता है। अपराधी अक्सर विदेशी सर्वर का इस्तेमाल करते हैं। जिससे पुलिस के लिए अपराधी तक पहुंचना और उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। धोखाधड़ी के बाद आरोपी रकम को तेजी से कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं या क्रिप्टोकरेंसी में बदल देते हैं। जिससे उनके पकड़ में आने की संभावना कम हो जाती है।

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