इन मांगों को लेकर आक्रोश हुए ग्रामीण, कहा- अबकी बार होगी आरपार की लड़ाई

सोमवार को किसान करेंगे ग्रेटर नोएडा में महापंचायत : इन मांगों को लेकर आक्रोश हुए ग्रामीण, कहा- अबकी बार होगी आरपार की लड़ाई

इन मांगों को लेकर आक्रोश हुए ग्रामीण, कहा- अबकी बार होगी आरपार की लड़ाई

Tricity Today | Greater Noida

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के साथ आसपास के कई जिलों में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के हक और अधिकारों की मांग को लेकर 14 अक्टूबर 2024 को जिला कलेक्ट्रेट पर विशाल किसान महापड़ाव आयोजित किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा (भूमि अधिकार) के आह्वान पर यह महापड़ाव गौतमबुद्ध नगर से लेकर आगरा तक के दर्जनों किसान संगठनों, अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय किसान परिषद के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस आंदोलन में शामिल किसान नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार जैसी प्रमुख मांगों को लेकर संघर्षरत हैं।

मांगें और मुद्दे
किसानों की प्रमुख मांगों में बाजार दर का 4 गुना मुआवजा, 20% प्लॉट और अन्य लाभ शामिल हैं। इसके अलावा पुराने कानून के तहत अधिग्रहित जमीनों के लिए प्रभावित किसानों को 64.7% बढ़ा हुआ ब्याज सहित मुआवजा, 10% प्लॉट, भूमिहीन किसानों को आवास, आबादियों के पुनर्वास और युवाओं के रोजगार की व्यवस्था का आश्वासन भी प्रमुख मुद्दे हैं। 

क्या है पूरा मामला
किसानों का कहना है कि यीडा, यूपीसीडा, एनटीपीसी, एनएचएआई, रेलवे और निजी बिल्डर परियोजनाओं जैसे डीएमआईसी, अंसल बिल्डर, हाईटेक बिल्डर, शिव नाडार यूनिवर्सिटी के साथ ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे आदि से प्रभावित गांवों के किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला है। उनकी मांग है कि सभी प्रभावित किसानों को एक समान नीति के तहत मुआवजा और पुनर्वास का लाभ मिले।

किसान नेता का बयान
किसान नेता और एडवोकेट सुनील फौजी ने बताया कि इन मांगों को लेकर पिछले कुछ महीनों से लगातार मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनाई गई हाई पॉवर कमेटी को ज्ञापन भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारी मांगों पर शासन और एनटीपीसी, अंसल बिल्डर, और हाईटेक बिल्डर के साथ हुए पत्राचार की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और सभी प्रभावित किसानों को न्याय मिले।" 

महापड़ाव की तैयारी और जनजागरण अभियान
इस महापड़ाव को सफल बनाने के लिए जनपद के विभिन्न गांवों में व्यापक जनजागरण अभियान चलाया गया है। डीएमआईसी, अंसल बिल्डर, हाईटेक बिल्डर, शिव नाडार यूनिवर्सिटी, यूपीसीडा, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे, रेलवे और एनटीपीसी जैसी परियोजनाओं से प्रभावित गांवों में जागरूकता रैलियां की गईं। सैकड़ों किसान और महिलाएं इस जनजागरण में शामिल होकर किसानों की मांगों के प्रति समर्थन जाहिर कर रहे हैं।

महापड़ाव को लंबे समय तक चलाया जाएगा
किसानों का कहना है कि यदि सरकार इस महापड़ाव में उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो वे इसके बाद लखनऊ या दिल्ली की ओर कूच करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। प्रत्येक गांव से ट्रैक्टर-ट्रॉली द्वारा राशन और आवश्यक सामान की व्यवस्था भी की गई है, जिससे महापड़ाव को लंबे समय तक चलाया जा सके।

महिला किसानों की भूमिका
इस आंदोलन में महिला किसानों का भी व्यापक समर्थन देखने को मिल रहा है। कई गांवों से महिला किसानों ने इस महापड़ाव में शामिल होने का निर्णय लिया है। सुनील फौजी का कहना है कि, "यह महापड़ाव सिर्फ पुरुषों का नहीं, बल्कि महिलाओं और युवाओं का भी संघर्ष है। सभी वर्गों का सहयोग इस आंदोलन को और भी मजबूत बना रहा है।"

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