NPCL की वजह से योगी सरकार को करोड़ों का नुकसान, बिना कनेक्शन कैसे पहुंच रही डूब क्षेत्र में बिजली

ग्रेटर नोएडा का मुद्दा : NPCL की वजह से योगी सरकार को करोड़ों का नुकसान, बिना कनेक्शन कैसे पहुंच रही डूब क्षेत्र में बिजली

NPCL की वजह से योगी सरकार को करोड़ों का नुकसान, बिना कनेक्शन कैसे पहुंच रही डूब क्षेत्र में बिजली

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Greater Noida News : कुछ दिनों पहले एक डाटा जारी हुआ, जिसमें बताया गया कि सरकार को ग्रेटर नोएडा, नोएडा और गाजियाबाद में यमुना-हिंडन खादर के डूब क्षेत्र में करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यहां के लोग बिजली तो लेते हैं, लेकिन बिल जमा नहीं करते। अनियोजित विकास हो रहा है। नदी का इकोसिस्टम बिगड़ रहा है। यह खुलासा होने के बाद एनपीसीएल सवालों में घिर गई है। सवाल है, आखिर योगी सरकार को इतना बड़ा नुकसान कैसे हुआ है? एनपीसीएल ने जब बिजली नहीं दी तो सप्लाई कैसे हो गई?

4 लोगों को कनेक्शन और 4 हजार को सप्लाई
दरअसल, एनपीसीएल के द्वारा डूब क्षेत्र में ठेकेदारों को बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं। कुलेसरा के डूब क्षेत्र में कुल 400 लोगों को बिजली के कनेक्शन दिए गए और उन 400 लोगों के द्वारा 4,000 लोगों को बिजली सप्लाई की जा रही है। कुछ बड़े कनेक्शन हैं, जो ट्यूबवेल के नाम पर लिए गए। मौके पर खेत नहीं हैं। कॉलोनी बस गई हैं। ट्यूबवेल कागजों पर चल रही हैं। लोगों का कहना है कि यह सीधे तौर पर एक बड़ा घोटाला है, जिससे सरकार को नुकसान हो रहा है। एनपीसीएल के द्वारा डूब क्षेत्र में बमुश्किल 400 लोगों को बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन वहां से 4,000 लोगों को बिजली सप्लाई की जा रही है।

अवैध बिजली आपूर्ति से हर साल 200 करोड़ का घाटा
इस इलाके में बिजली चोरी के व्यापक नेटवर्क ने सरकारी खजाने को सालाना करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। बिजली विभाग के कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से ठेकेदारों ने अवैध तरीके से बिजली की लाइनों का जाल बिछाया है। जिससे यहां के निवासियों को नियमित रूप से बिजली मिल रही है। यह कालाधंधा विभाग की जानकारी में होने के बावजूद सालों से बिना रोकटोक जारी है।  

50 से अधिक कॉलोनियों में बिजली का संकट
हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में 50 से अधिक अवैध कॉलोनियों में दो लाख से अधिक घर बसे हैं। इनमें से कुछ उपभोक्ताओं के पास ही वैध कनेक्शन हैं। जबकि अन्य लोग अवैध स्रोतों से बिजली पा रहे हैं। एनजीटी के आदेश के बाद वर्ष 2017 से यहां नए कनेक्शन देने पर रोक लगी हुई है। जिससे अवैध बिजली आपूर्ति का रास्ता खुल गया।

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