विकास और तकनीक की दृष्टि से साबित होगा मील का पत्थर, जानिये दुनिया में कौन है दिग्गज और इंडिया के सामने क्या हैं चुनौतियां

ग्रेटर नोएडा सेमीकॉन इंडिया 2024 : विकास और तकनीक की दृष्टि से साबित होगा मील का पत्थर, जानिये दुनिया में कौन है दिग्गज और इंडिया के सामने क्या हैं चुनौतियां

विकास और तकनीक की दृष्टि से साबित होगा मील का पत्थर, जानिये दुनिया में कौन है दिग्गज और इंडिया के सामने क्या हैं चुनौतियां

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Greater Noida News : 11 से 13 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट (IEML) में आयोजित होने वाला सेमीकॉन इंडिया 2024 देश के विकास और तकनीक की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा। तीन दिसवीय आयोजन में वैश्विक नेता, सेमीकंडक्टर उद्योग के विशेषज्ञ, शिक्षाविद और सरकारी अधिकारी एक साथ आएंगे। यह कार्यक्रम स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, सस्टेबिल्टी और वर्क फोर्स डेलपमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में इनोवेशन और ट्रेंडस के बारे में बहुमूल्य जानकारी से भरपूर होगा। कार्यक्रम में वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े 250 से अधिक प्रदर्शक शामिल होंगे। आईये जानते हैं, कौन हैं दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और भारत के सामने क्या है चुनातियां... 

देश की वर्तमान स्थिति और संभावनाएं 
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। हालांकि, अभी यहां सालाना लगभग 2,000 चिप ही डिजाइन किए जाते हैं। वर्ष 2026 तक यहां सेमीकंडक्टर की खपत 55 बिलियन डॉलर और 2030 तक 110 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो जाएगी। वर्तमान टाटा एलेक्सी लिमिटेड, डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड, एसपीईएल सेमीकंडक्टर लिमिटेड, एएसएम टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, मोस्चिप टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और रटनशा इंटरनेशनल रेक्टिफायर लिमिटेड जैसी कंपनियां चिप उद्योग से जुड़ी हैं। 

लगाई जा रही हैं पांच यूनिट 
अब भारत चिप उत्पादन के लिए पांच यूनिट स्थापित कर रहा है। इनमें से एक टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पीएसएमसी के संयुक्त उद्यम के तहत धोलेरा में बन रहा है। जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता तीन बिलियन चिप निर्माण की होगी। नए घोषित केयंस सेमीकान के प्लांट में प्रतिवर्ष 63 लाख चिप बनेंगी। गुजरात में चार प्लांट के अलावा टाटा समूह एक प्लांट असम में भी लगाने की तैयारी कर रहा है। 

भारत के सामने यह है बड़ी चुनौतियां
चिप इंडस्ट्री के लिए भारत में अभी कई बड़ी चुनौतियां हैं। जिनमें सप्लाई चेन, कच्चा माल, उपकरण, टेस्टिंग फैसिलिटी और स्किल्ड मैनपावर सबसे अहम है। रिसर्च और डेवलपमेंट आरएंडडी में दुनिया में अमेरिका अव्वल है वहीं, भारत को अभी इस दिशा में काफी काम करना है। चिप निर्माण में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन से कड़ी टक्कर होगी। विशेष बात यह है कि ताइवान की कंपनी जहां दो नैनोमीटर का चिप बनाने जा रही है, वहीं भारत में 90, 55, 50 और 28 नैनोमीटर की ही चिप बनाने की अभी तक तैयारी है। हालांकि, इसे 22 नैनोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। 

यह है ताइवान के नंबर वन बनने की कहानी 
1960-70 के दशक में शिन चिन ताई नामक एक ताइवानी युवा पढ़ाई के लिए अमेरिका गया था। उस समय अमेरिका माइक्रोचिप के जरिये कंप्यूटर क्रांति शुरू कर रहा था। अमेरिका में ग्रेजुएशन करने के बाद चिन ताई ने वहां की बेरोज कॉर्पोरेशन में मेमोरी चिप्स बनाना शुरू किया। उसी दौरान ताइवान में पेट्रोल-डीजल का संकट खड़ा हो गया और चिन ताई ने अमेरिका में रुकने के बजाय अपने देश का रुख किया। ताइवान सरकार को चिन ताई ने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री स्थापित करने का आइडिया दिया और देखते ही देखते आज दुनिया के 68 फीसदी चिप बाजार पर ताइवान का कब्जा है। अकेले ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड (टीएसएमसी) एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन में इस्तेमाल होने वाली 90 प्रतिशत चिप का उत्पादन करती है। ऐपल जैसी कंपनी की कस्टम चिप हो या सीपीयू और जीपीयू, इन सभी का उत्पादन ताइवान की यही कंपनी करती है।

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