Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के परियोजना विभाग में चल रही टेंडर प्रक्रियाओं में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण में तैनात कुछ ठेकेदार और विभागीय अधिकारी मिलकर बड़े पैमाने पर विकास कार्यों के टेंडर में गड़बड़ी कर रहे हैं। इन टेंडरों में ठेकेदारों द्वारा कम लागत वाले कामों के लिए भारी-भरकम दरों पर टेंडर जारी किए जा रहे हैं, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
क्या है पूरा मामला
प्राधिकरण के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि परियोजना विभाग के कुछ मैनेजर और जूनियर इंजीनियर (JE) ठेकेदारों के साथ मिलकर टेंडरों में गड़बड़ी कर रहे हैं। खासकर ऐसे टेंडर तैयार किए जाते हैं जिनमें वास्तविक खर्च बहुत कम होता है, लेकिन टेंडर की रकम कई गुना अधिक होती है। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सादुल्लापुर गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए करीब ढाई करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया। जिसे 38% कम दर पर ठेकेदार को दे दिया गया। इससे पहले, नाले की सफाई के लिए भी एक टेंडर साढ़े 48% कम दर पर दिया गया, जबकि सफाई का काम पहले ही पूरा हो चुका था।
टेंडर में घोटाला करके गुणवत्ता से समझौता
अभी हाल ही में जल विभाग में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। जिन ठेकेदारों को जल विभाग में काम करने का कोई अनुभव नहीं था। उन्हें भी भारी टेंडर दिए गए हैं। इन टेंडरों में भी परियोजना विभाग के एक मैनेजर की साझेदारी बताई जा रही है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि विभागीय अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर टेंडर की रकम बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं और काम की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है।
कैसे हुआ मामला उजागर
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब ग्रेटर नोएडा के टैटू आई ब्लॉक के निवासी अनूप राज सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग की। उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में "टेंडर माफिया" सक्रिय हैं, जो सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों को लूटने में लगे हुए हैं। उनका आरोप है कि प्राधिकरण के परियोजना विभाग में तैनात कई मैनेजर और जेई इन ठेकेदारों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। अनूप राज सिंह ने मुख्यमंत्री से इस मामले की विस्तृत जांच कराने की अपील की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। अब देखने वाली बात होगी कि इस घोटाले की जांच कैसे आगे बढ़ती है और क्या सरकार इस पर कोई सख्त कदम उठाती है।