किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए 25 नवंबर को जुटेंगे लाखों लोग, शुरू किया डोर-टु-डोर जनजागरण अभियान

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर महापंचायत : किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए 25 नवंबर को जुटेंगे लाखों लोग, शुरू किया डोर-टु-डोर जनजागरण अभियान

किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए 25 नवंबर को जुटेंगे लाखों लोग, शुरू किया डोर-टु-डोर जनजागरण अभियान

ट्राई सिटी | एकत्र किसान

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 25 नवंबर को आयोजित होने वाली महापंचायत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के तहत विभिन्न किसान संगठनों ने तैयारी तेज कर दी है। महापंचायत को सफल बनाने के लिए किसान संगठनों द्वारा डोर-टु डोर जाकर जनजागरण अभियान शुरू किया गया है। इस आंदोलन में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के अलावा बुलंदशहर और गाजियाबाद के किसान भी शामिल होंगे। किसान संगठनों का दावा है कि बड़ी संख्या में किसान इस महापंचायत में भाग लेंगे। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके कानूनी अधिकार दिलवाना है, जिनमें भूमि अधिग्रहण के बाद दिए जाने वाले मुआवजे और प्लॉट का मुद्दा प्रमुख है।

गांवों में डोर टू डोर जनजागरण अभियान चलाया
किसान संगठनों ने महापंचायत की सफलता के लिए कई गांवों में डोर टू डोर जनजागरण अभियान चलाया। पल्ला गांव, दतावली, एनटीपीसी प्रभावित क्षेत्रों और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से प्रभावित गांवों में किसान संगठनों की टीमें सक्रिय हैं। भारतीय किसान परिषद, भाकियू टिकैत, भाकियू कृषक शक्ति और अन्य संगठन ग्रामीणों से मिलकर उन्हें इस आंदोलन से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि उनका हक न छिना जाए और उनका मुआवजा और पुनर्वास का पूरा लाभ मिले।

मुआवजा और प्लॉट, सभी प्रभावित किसानों को दिए जाएं
किसान संगठनों द्वारा जनजागरण अभियान के तहत गांवों में कई बैठकें आयोजित की गईं। भाकियू टिकैत और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा ने प्रमुख गांवों में मीटिंग की और महापंचायत को सफल बनाने के लिए जुटने का आह्वान किया। आंदोलन में शामिल किसान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 2014 के नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मिलने वाले लाभ, जैसे कि मुआवजा और प्लॉट, सभी प्रभावित किसानों को दिए जाएं। हालांकि किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण जानबूझकर इन लाभों को नहीं दे रहे हैं। जिससे वे हकदार किसानों को उनकी संपत्ति और पुनर्वास का उचित अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

प्राधिकरणों ने किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं किए
संयुक्त किसान मोर्चा के तहत चल रहे इस आंदोलन में कई प्रमुख संगठन सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं। भारतीय किसान परिषद, भाकियू महात्मा टिकैत, किसान एकता संघ, और जय जवान जय किसान मोर्चा सहित अन्य संगठन किसानों के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं। इन संगठनों का मानना है कि प्राधिकरणों ने किसानों से भूमि अधिग्रहण और सीधी खरीद के दौरान वादा किए गए लाभ अब तक नहीं दिए हैं। अब किसान एकजुट होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए 25 नवंबर को होने वाली महापंचायत में एकत्र होंगे।

क्या है किसानों की मांगे
पूर्व में 1894 के पुराने अधिग्रहण कानून के तहत सभी प्राधिकरणों तथा विभिन्न बिल्डरों द्वारा जमीन लिए जाने से प्रभावित सभी किसानों जिनकी जमीन सीधे बैनामों से खरीद प्रक्रिया के तहत ली गई है। उन सभी को 10 प्रतिशत प्लॉट दिए जाने का मुद्दा बेहद अहम है। आरोप है कि प्राधिकरण किसानों के साथ समानता का व्यवहार नहीं कर रहे हैं। कुछ किसानों को 10 प्रतिशत प्लॉट दिया गया, लेकिन ज्यादातर को नहीं दिया गया है। साथ ही दूसरा बड़ा और किसानों के कानूनी अधिकार का मुद्दा है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के देश में 1 जनवरी 2014 से लागू हो जाने के बाद और 2016 में यूपी सरकार द्वारा इसकी नियमावली बना दिए जाने के बाद भी इस कानून के तहत मिलने वाला बाजार दर का 4 गुना मुआवजा, 20 प्रतिशत प्लॉट तथा सभी भूमिधर और भूमिहीन किसानों को रोजगार तथा पुनर्वास के सभी लाभ दिए जाने का प्रावधान होने के बावजूद अभी तक भी ये लाभ जनपद में किसी परियोजना में नहीं दिए जाने का है। यह लाभ अधिग्रहण के अलावा प्राधिकरण द्वारा की गई सीधी खरीद के मामलों में भी दिए जाने थे, परन्तु सभी प्राधिकरणों ने अलग-अलग दर तय करके कौड़ियों के भाव किसानों से जमीन खरीद ली। खरीद के समय अन्य लाभ देने की बात तो की लेकिन अब मुकर रहे हैं। सीधे खरीद से प्रभावित किसानों को प्रोजेक्ट इफेक्टेड फैमली (परियोजना प्रभावित किसान) माना जाना बहुत ही आवश्यक है। साथ ही उन्हें नए कानून के सभी लाभ मिलने ही चाहिए।

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