Lucknow News : उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजों ने सियासी तस्वीर को और स्पष्ट कर दिया है। शनिवार सुबह शुरू हुई मतगणना के बाद से ही यह तय हो गया था कि मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच होगा। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस दौड़ से पूरी तरह बाहर नजर आई।
भाजपा और सहयोगी दलों का प्रदर्शन शानदार
भाजपा और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने इन उपचुनावों में सात सीटों पर बढ़त बनाए रखी है। जबकि सपा दो सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल होती दिख रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने हर सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए मंत्रियों और नेताओं को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी थीं। नतीजों से साफ है कि भाजपा की रणनीति कारगर साबित हुई।
बसपा का कमजोर प्रदर्शन, मायावती की रणनीति सवालों के घेरे में
इन चुनावों में पहली बार उतरने वाली बसपा को करारा झटका लगा है। पार्टी के सभी उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में भी नाकाम रहे। बसपा सुप्रीमो मायावती अब पूरी तरह हाशिए पर नजर आ रही हैं। मायावती ने उपचुनाव प्रचार में व्यक्तिगत भागीदारी से दूरी बनाए रखी और केवल सोशल मीडिया के जरिए बयान जारी किए। बसपा की स्थिति को और कमजोर करती हुई बात यह रही कि पार्टी के 40 स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नेता भी प्रचार में सक्रिय नहीं दिखे। इस उदासीनता का खामियाजा पार्टी के उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा।
बसपा के प्रदर्शन पर एक नजर
सीसामऊ : वीरेंद्र कुमार को मात्र 1410 वोट।
कटेहरी : अमित वर्मा ने 25025 मत जुटाए।
फूलपुर : जितेंद्र कुमार सिंह को केवल 14124 वोट।
मीरापुर : प्रत्याशी को 2232 वोट।
खैर : पहल सिंह को 11945 वोट।
वर्ष 2019 से लगातार गिर रहा है बसपा का ग्राफ
बसपा का प्रदर्शन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार गिर रहा है। उस समय सपा के साथ गठबंधन करके पार्टी 10 सीटें जीतने में सफल रही थी। इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा केवल एक सीट पर सिमट गई। 2024 लोकसभा चुनाव में भी बसपा अपना खाता खोलने में असफल रही और अब उपचुनाव के ये नतीजे उसके भविष्य पर और सवाल खड़े कर रहे हैं।