Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा की है। जिसमें आयोग ने छात्रों की प्रमुख मांगों को स्वीकार करते हुए अपनी पूर्व निर्धारित परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव किया है। आयोग अब प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित करेगा। यह निर्णय उन हजारों अभ्यर्थियों के लिए राहत लेकर आया है। जो पूर्व के फैसले से नाखुश थे और जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हस्तक्षेप
विरोध के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप किया। बढ़ते प्रदर्शनों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने आयोग को छात्रों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया। इसके बाद जिलाधिकारी और यूपीपीसीएस के सचिव ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों के बीच पहुंचकर लाउडस्पीकर से इस फैसले की घोषणा की। जिलाधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री के आदेश पर छात्रों की मांगों को स्वीकार करते हुए परीक्षा एक ही दिन और एक शिफ्ट में कराने का निर्णय लिया गया है।" आयोग जल्द ही इस संबंध में आधिकारिक नोटिस भी जारी करेगा।
छात्रों के आगे झुका आयोग
हाल ही में UPPSC ने पीसीएस प्री-परीक्षा के आयोजन को लेकर कुछ बदलाव किए थे। जिसके तहत परीक्षा को दो दिनों और दो शिफ्टों में कराने का निर्णय लिया गया था। इस बदलाव के खिलाफ छात्रों में असंतोष फैल गया और उन्होंने व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। छात्रों का तर्क था कि दो दिनों में दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना मानसिक दबाव बढ़ाएगा और उनकी तैयारी पर नकारात्मक असर डालेगा। उनका यह भी कहना था कि दो शिफ्टों में परीक्षा से समय की कमी की समस्या पैदा होगी और उन्हें एक साथ तैयारी करने में कठिनाई होगी।
क्या है परीक्षा प्रक्रिया में नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा
आयोग ने परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन (Normalization) प्रक्रिया लागू करने का भी प्रस्ताव रखा है। जिससे अलग-अलग शिफ्टों में दिए गए अंकों की असमानता को दूर किया जा सके। जब कोई परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होती है तो हर शिफ्ट का कठिनाई स्तर भिन्न हो सकता है, जिससे किसी शिफ्ट में बैठे छात्रों को लाभ या हानि हो सकती है। ऐसे में नॉर्मलाइजेशन के तहत एक औसत स्कोर तय किया जाता है और छात्रों के अंकों का उचित संतुलन बनाया जाता है।
इस प्रक्रिया को लेकर छात्रों में असंतोष
हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर छात्रों में असंतोष है। क्योंकि आयोग ने अभी तक नॉर्मलाइजेशन के लिए कोई ठोस फॉर्मूला जारी नहीं किया है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों के लिए संदेह का विषय बन गई है। जिससे वे खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। छात्रों का मानना है कि इस तरह के महत्वपूर्ण निर्णयों में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि परीक्षा के प्रति उनका भरोसा कायम रह सके।
आयोग के फैसले से छात्रों को राहत
सीएम योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप और आयोग की त्वरित प्रतिक्रिया से छात्रों में राहत की भावना देखी जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बदलाव से उनकी तैयारी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वे पहले की तरह एक ही दिन में एक ही शिफ्ट में परीक्षा देकर अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।