बड़ी खबर: सरकार ने एनपीसीएल की जांच का आदेश दिया, बड़ी धांधली का आरोप लगा

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बड़ी खबर: सरकार ने एनपीसीएल की जांच का आदेश दिया, बड़ी धांधली का आरोप लगा

Tricity Today | NPCL under probe

यूपी राज्य विद्वत परिषद ने राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर इन कंपनियों की जांच की मांग की थी।gangaजांच समिति में यूपीपीसीएल के निदेशक (वाणिज्यिक) एके श्रीवास्तव अध्यक्ष के रूप में शामिल हैं। जबकि, यूपीपीसीएल के कार्यकारी अभियंता एके गुप्ता और यूपीपीसीएल के मुख्य अभियंता (वाणिज्यिक) श्रवण पार्थी सदस्य हैं।gangaश्रीकांत शर्मा ने यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को लिखित आदेश जारी किया है कि वह 15 दिनों के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

लम्बे अरसे से की जा रही मांग पर पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने ध्यान दिया है। ग्रेटर नोएडा में बिलजी आपूर्ति करने वाली नोएडा पावर कम्पनी की जांच होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने दो निजी क्षेत्र की कंपनियों, टोरेंट पावर और नोएडा पावर कम्पनी लिमिटेड (NPCL) की वित्तीय जांच का आदेश दिया है। टोरेंट पावर आगरा में और एनपीसीएल ग्रेटर नोएडा में बिजली वितरण करती हैं।

दरअसल, यूपी राज्य विद्वत परिषद ने राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर इन कंपनियों के साथ संबंधित बिजली वितरण समझौतों में निर्धारित वित्तीय और उपभोक्ता सेवाओं की जांच की मांग की थी।

श्रीकांत शर्मा ने यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को लिखित आदेश जारी किया है कि वह 15 दिनों के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अब ऊर्जा मंत्री के आदेश पर कार्य करते हुए UPPCL के प्रबंध निदेशक एम देवराज ने परिषद द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने और 7 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन किया है।

जांच समिति में यूपीपीसीएल के निदेशक (वाणिज्यिक) एके श्रीवास्तव अध्यक्ष के रूप में शामिल हैं। जबकि, यूपीपीसीएल के कार्यकारी अभियंता एके गुप्ता और यूपीपीसीएल के मुख्य अभियंता (वाणिज्यिक) श्रवण पार्थी सदस्य हैं।

यूपी विद्वत परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के अनुसार, आगरा में बिजली आपूर्ति करने की जिम्मेदारी अप्रैल 2010 में टोरेंट पावर को सौंप दी गई थी। समझौते के तहत, कंपनी को 31 मार्च, 2017 तक शहर में बिजली लाइन के घाटे को 15 प्रतिशत तक कम करने के लिए अनिवार्य किया गया था।

टोरंट को आगरा में बिजली उपभोक्ताओं पर कई करोड़ रुपये के बकाया फिर से मिलने की उम्मीद थी। लेकिन 31 अक्टूबर, 2017 तक बिजली की बकाया राशि बढ़कर 2,173 करोड़ रुपये हो गई, जो वर्तमान में 2,500 करोड़ रुपये है। जबकि केवल एक छोटी राशि राज्य उपयोगिता में वापस आ गई थी।

इसी तरह, नोएडा पावर कंपनी के साथ 1993 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। वर्मा ने दावा किया कि सैकड़ों गांव अभी भी बिजली आपूर्ति में सुधार का इंतजार कर रहे हैं। वर्मा ने कहा, “मैं लंबे समय से राज्य बिजली उपभोक्ताओं के बड़े हित में इन दोनों कंपनियों के कामकाज में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा विस्तृत वित्तीय जांच की मांग कर रहा था।

उन्होंने आरोप लगाया कि टॉरेंट पावर आगरा में आपूर्ति के लिए यूपीपीसीएल से सस्ती बिजली खरीद कर मुनाफा कमा रहा है। इसी तरह एनपीसीएल भी केवल बिजली बांटकर मोटा कमीशन खा रही है। समझौते की मुख्य शर्त के मुताबिक कम्पनी को खुद का पावर जेनरेशन प्लांट लगाकर बिजली पैदा करनी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। नोएडा पावर कंपनी ग्रेटर नोएडा के उपभोक्ताओं को सुविधाएं नहीं दे रही है। ग्रेटर नोएडा में बिजली दरों को सबसे ज्यादा एनपीसीएल ने बढ़ाया है।

आपको बता दें कि एनपीसीएल को 1993 में ग्रेटर नोएडा शहर में बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। कम्पनी को एग्रीमेंट के बाद 5 वर्षों में एक बिजली उत्पादक संयंत्र लगाने की शर्त थी। लेकिन आज तक कम्पनी ने संयंत्र नहीं लगाया है। कम्पनी यूपीसीसीएल से सस्ती बिजली खरीदकर शहर में महंगी बेचती है। कम्पनी के खिलाफ बार-बार बड़े आंदोलन हुए हैं। लेकिन हर बार किसी न किसी तरह आंदोलनों को समाप्त करवा दिया गया है। गोयनका ग्रुप की कम्पनी को विकास प्राधिकरण ने अरबों रुपये की कीमत का इंफ्रास्ट्रक्चर खुद विकसित करके दिया है। अब कम्पनी ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भी बिजली आपूर्ति कर रही है।

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