Noida News : नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर से जुडी बड़ी खबर है। धोखाधड़ी, जालसाजी, गबन और आपराधिक षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे एमएमआर ग्रुप के डायरेक्टर मोहित राघव को दिल्ली की अदालत से झटका लगा है। करीब 300 फ्लैट खरीदारों से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट ने मोहित राघव की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट तीस हजारी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस) संजीव कुमार ने मोहित राघव की अर्जी पर सुनवाई की। यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मोहित राघव और उनके सहयोगी दीपक मिगलानी के खिलाफ दर्ज किया है।
मोहित राघव के वकील ने मांगी जमानत
मोहित राघव के वकील संभव जैन ने दलील दी कि प्रकरण पिछले चार वर्षों से लंबित है। उनका मुव्वकिल जांच में शामिल हो रहा है। कई घर खरीदारों के साथ समझौता किया और उनके पैसे वापस कर दिए हैं। आरोपी आवेदक ने कोई पैसा नहीं निकाला है। आरोपी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) ने रद्द कर दिया है। जांच अधिकारी ने आरोपी से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं समझी है। उनका शुरू से ही घर खरीदारों को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था और कुछ परियोजनाओं का निर्माण किया है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने प्लॉट का आवंटन रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया। मोहित के वकील ने आगे कहा कि आरोपी ने कुछ घर खरीदारों के साथ मामले सुलझा लिए हैं। शिकायतकर्ता सहित शेष घर खरीदारों के साथ मामले को निपटाने के लिए तैयार है। खरीदारों को समझौते की पेशकश की गई है। आरोपी फरार नहीं है और जब भी जांच अधिकारी को इसकी आवश्यकता होगी, वह उपस्थित होता रहा है।
'आरोपी ने कई पीड़ितों को धोखा दिया'
राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक बलबीर सिंह जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति का है। आरोपी ने कई पीड़ितों को धोखा दिया है। आरोपी की कंपनी ने 14 जून 2014 को पहले बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट (बीबीए) पर हस्ताक्षर किए। जबकि साइट प्लान 24 जून 2015 को स्वीकृत किया गया था। आरोपी मोहित राघव घर खरीदारों से लिए गए 15 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे पाया है। इस राशि का गबन कर लिया गया है।
300 खरीदारों से 100 की धोखाधड़ी की
मामले की आर्थिक अपराध शाखा से शिकायत करने वाले घर खरीदारों के वकील प्रतीक कुमार ने जमानत अर्जी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने मुद्दे के निपटारे के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। आरोपी 300 से अधिक घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए जिम्मेदार है, जो सभी सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने घर खरीदने के लिए बैंकों से ऋण लिया है। अब आरोपी अपनी शर्तों पर समझौता करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। घर खरीदार 8-9% प्रतिशत की दर पर ब्याज भुगतान कर रहे हैं। उन्हें केवल 2-3% की दर पर ब्याज लेकर समझौता करने के लिए मजबूर किया गया है। आरोपी व्यक्तियों ने हाउसिंग अपार्टमेंट के निर्माण के लिए रखी गई 100 करोड़ से अधिक राशि की हेराफेरी की है। यहां तक कि यह लोग ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बकाया का भुगतान करने में भी विफल रहे हैं। जिसके कारण उस भूखंड का आवंटन रद्द कर दिया गया, जिस पर अपार्टमेंट का निर्माण किया जाना था।
स्ट्रेस फण्ड के नाम पर धोखा दिया
आरोपियों ने धोखे से खरीदारों को सूचित किया कि सरकार स्ट्रेस फण्ड दे रही है। जिसकी सहायता से परियोजना को जल्दी पूरा किया जाएगा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आज तक भूखंडों पर कोई निर्माण शुरू नहीं किया गया है। खरीदार अपनी मेहनत की कमाई के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आरोपियों ने चार टावरों में एक ईंट भी नहीं लगाई है।
इन वजहों से खारिज की जमानत अर्जी
वकील ने तर्क दिया कि कुछ घर खरीदारों के साथ मामला सुलझा लिया गया है, लेकिन शिकायतकर्ता के वकील का कहना है कि शिकायतकर्ता के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है। आरोपी और सह-अभियुक्त अन्य घर खरीदारों पर समझौता करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। धमकी दे रहे हैं। मामला 3-4% ब्याज दरों पर निपटाने का दबाव बना रहे हैं। जबकि घर खरीदारों ने 8-9% की दर पर बैंक से ऋण लिया है और आरोपी को भुगतान किया है।
यह तर्क दिया गया है कि जांच पिछले चार वर्षों से लंबित है। आरोपी के खिलाफ जारी एनबीडब्ल्यू पहले ही सीएमएम ने रद्द कर दिए थे। यह दर्शाता है कि शुरू में आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया और उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किए गए थे। सीएमएम ने एनबीडब्ल्यू रद्द कर दिया था, क्योंकि आरोपी और सह-अभियुक्त ने कुछ खरीदारों के साथ समझौता किया था। लेकिन अब शिकायतकर्ता अन्य घर खरीदारों के साथ कोई समझौता नहीं कर रहा है।
वर्तमान मामले में लगभग 300 घर खरीदारों को आवास परियोजनाओं में समयबद्ध डिलीवरी का वादा किया था। निवेश करने के लिए प्रेरित किया और बाद में उनसे एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग किया गया। पैसे के डायवर्जन के आरोप शामिल हैं। मामला केवल निर्माण में देरी का ही नहीं है। घर खरीदारों ने अपनी जीवन भर की बचत से पैसा चुकाया था। बैंकों से ऋण प्राप्त किया था। जिसके बाद वादा किए गए फ्लैटों का कब्ज़ा नहीं दिया गया। यहां तक कि चार टावरों की साइट पर एक भी ईंट नहीं रखी गई है। जांच से पता चला कि घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन के साथ-साथ बैंकों से लिए गए ऋण का उचित उपयोग नहीं किया गया। लिहाजा, मोहित सिंह राघव को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। आवेदन अस्वीकार किया जाता है।