जल संकट और पर्यावरण संकट पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता, पांच सूत्रों पर हुआ मंथन

नोएडा में प्रेरणा विमर्श 2024 : जल संकट और पर्यावरण संकट पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता, पांच सूत्रों पर हुआ मंथन

जल संकट और पर्यावरण संकट पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता, पांच सूत्रों पर हुआ मंथन

ट्राई सिटी | कार्यक्रम में भाग लेते अतिथि

Noida News : प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वावधान में नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित हो रहे प्रेरणा विमर्श 2024 के दूसरे दिन पर्यावरण कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता पर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम मुख्य अतिथि उमाशंकर पांडेय ने कहा कि जल संकट एक गंभीर समस्या है और हम हमारे पूर्वजों द्वारा संरक्षित जल स्रोतों का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। पांडेय ने पानी बचाने की अपील करते हुए बताया कि विश्व में कुल पानी का मात्र एक प्रतिशत ही पीने योग्य है। इसके अलावा जेएनयू की प्रोफेसर डॉ. ऊषा मीणा ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता जताई और बताया कि पर्यावरण संकट जैसे ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा और समुद्र तल में वृद्धि से निपटने के लिए हमें अब कदम उठाने होंगे।

जीवन का आनंद तभी संभव है जब परिवार सुखी
कुटुंब प्रबोधन के दूसरे सत्र में परिवार हमारा आधार विषय पर गहन चर्चा की गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संघचालक सूर्य प्रकाश टोंक ने परिवार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जीवन का आनंद तभी संभव है जब परिवार सुखी हो। उन्होंने पांच सूत्रों की बात की। जिनमें शिक्षा, संस्कार, संगति, एकात्मकता और समाज में परिवार का स्थान शामिल है। सत्र के मुख्य वक्ता वरुण गुलाटी ने बताया कि आजकल हम मैं से हम की यात्रा को भूल रहे हैं। जिसके कारण परिवारों में दरारें बढ़ रही हैं। सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष विमला बॉथम ने कहा कि महान विभूतियां जैसे गार्गी और अहिल्याबाई ने परिवार धर्म के साथ राजधर्म का भी पालन किया।

सामाजिक समरसता पर किए गए विचार 
तीसरे सत्र में सामाजिक समरसता पर विचार किए गए। संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनासि जानता विषय पर मुख्य अतिथि मंजुल पालीवाल और लेखक विजय सोनकर शास्त्री ने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने समाज में जाति और धर्म के भेदभाव को समाप्त करने की आवश्यकता जताई और समरसता के लिए सकारात्मक प्रयासों की बात की। सत्र की अध्यक्षता वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने की, और डॉ. नवीन गुप्ता तथा डॉ. सुनेत्री सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। शुभ्रांशु झा ने इस सत्र का संचालन किया। सभी वक्ताओं ने समाज में समानता और समरसता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता और सक्रिय कदम उठाने की बात की।

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