Noida News : मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और चेयरमैन रहे। उस दौरान उन्होंने घोटाले और भ्रष्टाचार करने की किताब लिख दी थी। उन्होंने पहले से सोचा हुआ था कि नोएडा को कंगाल करना है। करोड़ों रुपए का घोटाला करना है। इस वजह से वह पत्रकारों से डरते थे। कुछ पत्रकारों से तो वह मुलाकात भी नहीं करते थे। उनका डर था कि कहीं डकैती की कहानी उसको घेरे में ना डाल दें। डकैती डालने वाले मोहिंदर सिंह उस समय ईमानदार पत्रकारों से काफी डरते थे। उनको लगता था कि वह डकैती डालने से पहले ही पकड़े जाएंगे। हालांकि, नोएडा में ज्यादा समय नहीं होने की वजह से उन्होंने बड़े घोटाले को अंजाम दिया। इसको लेकर "ट्राईसिटी टुडे" ने जिले के 5 बड़े पत्रकारों से बातचीत की, जो उस टाइम पर नोएडा प्राधिकरण में रिपोर्टिंग किया करते थे।
एक दिन पत्रकारों ने उनको खरी-खोटी सुनाई
जब किसी सवाल का जवाब लेने के लिए मनिंदर सिंह के पास पत्रकार जाते थे तो वह मिलने से इनकार कर देता था। अधिकतर बोल देता था कि आज तबीयत खराब है, क्योंकि उनको पता था कि किसी बड़े मुद्दे पर सवाल जवाब करेंगे, बिल्डरों से जुड़े मामलों पर बात की जाएगी या जमीन को लेकर कल के अखबार में खबर छपेगी। इस वजह से वह पत्रकारों से नहीं मिलते थे। काफी पत्रकारों को देखकर वह कई बार दफ्तर से गायब भी हो चुके हैं। जिले में करीब 5 पत्रकार ऐसे हैं, जिनका नाम सुनते ही वह परेशान हो जाते थे और घंटों तक उनको वेटिंग रूम में बैठाकर रखते थे। हालांकि, एक बार तो ऐसा हुआ कि पत्रकारों ने उनको खरी-खोटी सुनाई।
जिले के 5 बड़े पत्रकारों ने बताई मोहिंदर सिंह की करतूत
जिले के पांच बड़े पत्रकारों ने "ट्राईसिटी टुडे" के साथ मोहिंदर सिंह को लेकर अपना अनुभव साझा किया है। उन्होंने बताया कि मोहिंदर सिंह उन लोगों को देखकर काफी ज्यादा डर जाते थे। अगर किसी मुद्दे पर बात करनी चाहिए तो कहते थे कि ऑफिस में आओ और जब ऑफिस चले जाते थे तो घर बुलाते थे। कुल मिलाकर वह किसी भी बात का जवाब देने से पीछे हटा करते थे, इसलिए उनकी छवि पर पहले ही शक होने लगा था। अब जैसे-जैसे घोटाले के राज खुल रहे हैं तो हकीकत भी सामने आ रही है। अब पता चल रहा है कि वह पत्रकारों से क्यों इतना डरते थे। यह 5 पत्रकार वही हैं, जो उनके कार्यकाल के दौरान नोएडा अथॉरिटी में रिपोर्टिंग किया करते थे।
बोर्ड बैठक में लेकर पहुंचे अखबार की कटिंग
नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार और "नोएडा विकिपीडिया" के नाम से पहचान बनाने वाले विनोद शर्मा ने बताया, "मोहिंदर सिंह काफी ज्यादा डरते थे। एक बार मेरे द्वारा लिखी न्यूज़ की कटिंग को बोर्ड बैठक में लेकर गए। पत्रकारों के सवालों का जवाब देने के बजाय पीछे भागते थे और अगर कोई खबर लिखी जाती थी तो वह उसको लेकर लखनऊ जाने की बात किया करते थे।"