Noida News : किसी भी उच्च अधिकारी की बुलाई जाने पर अधीनस्थ अधिकारी अक्सर इंतजार करते हैं, लेकिन यह इंतजार जब एक-दो घंटे से भी आगे बढ़कर सुबह के सात बजे से लेकर रात के 12 बजे तक पहुंच जाए, तो इंतजार करने वाले अधिकारी की मनोदशा का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। नोएडा प्राधिकरण में सीईओ और तीनों प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर रहे पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह का जलवा कुछ ऐसा था।
अधिकारी इंतजार करते रहते थे, और मोहिंदर सिंह अपने आवास में जाकर सो जाते थे। देर रात जब आंख खुलती थी, तो कभी 11 बजे कभी 12 बजे इंतजार कर रहे अधिकारी से मिलकर मोहिंदर सिंह कहते थे, अरे अभी तक इंतजार कर रहे हो, कोई बात नहीं, कल सुबह आ जाना। उसे समय तो अधिकारी चला जाता था, लेकिन उसे पता होता था कि अगले दिन फिर सुबह से लेकर देर रात तक इंतजार ही करना पड़ेगा।
अपने अधीनस्थ अधिकारियों और इंजीनियरों को प्रताड़ित करने के लिए मोहिंदर सिंह इस तरह का रवैया भी अपनाता था। अगर उन्होंने किसी अधिकारी को बुलाया है और चार या 6 घंटे इंतजार करने के बाद, वह अधिकारी अगर कैंप कार्यालय से वापस लौट गया, तो उसे फोन करके पहले तो लताड़ा जाता था, फिर पूछा जाता था कि सीनियर अधिकारी अगर बुला रहा है, तो तुमसे कुछ देर इंतजार नहीं किया जाता।
नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत उस समय के कई इंजीनियरों की मनोदशा ऐसी हो गई थी, कि वह नौकरी तक छोड़ने के लिए तैयार थे। आए दिन 12 से 14 घंटे तक इंतजार करने के बाद अधिकारी मानसिक तौर पर प्रताड़ित होने के बाद बुरी तरह से टूट चुके थे। ऐसा किसी एक या दो अधिकारियों के साथ नहीं, बल्कि करीब आधा दर्जन इंजीनियर ऐसे थे। जिन्हें मोहिंदर सिंह द्वारा मानसिक रूप से खूब प्रताड़ित किया गया। रात में 12, दूसरे दिन आने की बात कहकर मोहिंदर सिंह तो सो जाता था, लेकिन कार्मिक का दिल तो दुखी होता ही था। उसकी बद्दुआएं भी देर सबेर लगती ही हैं,चाहे वह सेवानिवृत्त होकर घर ही चला गया हो।