Noida News : उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित स्मारक घोटाले में नया मोड़ आ गया है। विजिलेंस विभाग ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम (UPRNN) के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के नोएडा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह (Mohinder Singh) की लगभग 8 घंटे की पूछताछ के बाद की गई है। इसके साथ ही नोएडा के तीन और ठिकानों में छापेमारी की गयी है।
राजवीर सिंह कैसे बन गया करोड़पति
विजिलेंस जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। राजवीर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। जांच में पाया गया कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए 1,78,27,143 रुपये की आय अर्जित की, जबकि खर्च 2,67,32,462 रुपये का दर्ज किया गया। इस प्रकार उनके द्वारा 89,05,319 रुपये का अतिरिक्त खर्चा किया गया, जिसकी जानकारी नहीं मिल सकी।
कार्रवाई से पूरे विभाग में मच हड़कंप
सूत्रों का कहना है कि पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह ने पूछताछ के दौरान तत्कालीन बसपा सरकार के दो मंत्रियों के साथ-साथ आठ पीसीएस अधिकारियों के नाम भी उजागर किए हैं। इस कार्रवाई से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। विजिलेंस विभाग की टीम द्वारा नोएडा में चार अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई है और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जब्त किए गए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, जांच के दायरे में अन्य अधिकारी भी आ सकते हैं।
यह है स्मारक घोटाला
साल 2007-2011 के दौरान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा में बनाए गए स्मारक और पार्कों के निर्माण और इस कार्य से जुड़े अन्य कार्यों में प्रयोग किए गए सैंडस्टोन की खरीद-फरोख्त में अरबों रुपये का घोटाला हुआ था। इन स्मारकों में अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतम बु़द्ध उपवन, ईको गार्डन व नोएडा का अंबेडकर पार्क शामिल था। इसके लिए 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार का बजट आवंटित हुआ था। जिसमें 41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार की धनराशि खर्च की गई थी।