सिक्का बिल्डर पर गिरी गाज, 51 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त की

नोएडा के सीईओ हुए सख्त : सिक्का बिल्डर पर गिरी गाज, 51 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त की

सिक्का बिल्डर पर गिरी गाज, 51 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त की

Tricity Today | सिक्का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट।

Noida News : नोएडा प्राधिकरण ने बकायेदार बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम के निर्देश पर सबसे पहले सिक्का इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट को सील कर दिया गया है। प्राधिकरण के इस एक्शन के बाद बिल्डरों में हलचल हो गई है।

208 करोड़ रुपये का बकाया
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-143बी में स्थित मेसर्स सिक्का इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 208.05 करोड़ रुपये की बकाया राशि है। इस प्रोजेक्ट की कीमत लगभग 51 करोड़ रुपये है। प्राधिकरण ने 8 अक्टूबर को इस प्रोजेक्ट में बने 31 अनाधिकृत फ्लैट्स को सील करने की कार्रवाही की। अब इस फ्लैट को नीलाम किया जाएगा। इससे मिलने वाली राशि से प्राधिकरण की बकाया धनराशि की वसूली की जाएगी और फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ होगा। बकाया राशि जमा करने में आएगी तेजी : सीईओ
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ.लोकेश एम ने बताया कि यह कार्रवाई फ्लैट खरीदारों के हितों को सुरक्षित करने के लिए की गई है। इस कड़ी कार्रवाई से बिल्डर अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगे और बकाया राशि जमा करने में तेजी लाएंगे। इससे न केवल प्राधिकरण को अपना बकाया मिलेगा, बल्कि फ्लैट खरीदारों को भी जल्द से जल्द अपने घरों की रजिस्ट्री मिल सकेगी।

इन बिल्डर ने जमा किया बकाया
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि समीक्षा में पाया गया कि कुछ बिल्डरों ने अपनी देय धनराशि का 25 प्रतिशत जमा कर दिया है। इनमें मुख्य रूप से सनवर्ल्ड रजिडेंसी, पैन रियलटर्स, एस्को प्रोपर्टीज और पारस बिल्डकॉन शामिल हैं। इन कंपनियों की कई परियोजनाएं नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में चल रही हैं। प्राधिकरण ने इन बिल्डरों के मुख्य द्वार पर नोटिस बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है।

अमिताभ कांत समिति
शासन ने बिल्डरों पर बकाया धनराशि को जमा करने के लिए 21 दिसंबर 2023 को अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू किया था। जिसमें बिल्डरों को कोविड का जीरो पीरियड का लाभ दिया गया। साथ ही कुल बकाया का 25 प्रतिशत जमा करने को कहा गया। ताकि बायर्स की रजिस्ट्री कराई जा सके। लगातार संपर्क किए जाने के बावजूद बिल्डर की तरफ से मनमानी बरती गई। प्राधिकरण और शासन के निर्देशों को उल्लंघन किया गया। इसके बाद प्राधिकरण ने यह कार्रवाई की है, जिससे बायर्स के हितों को सुरक्षित किया जा सके।

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