Noida News : जिले के पहले सरकारी कॉलेज सेक्टर- 39 में चल रहे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एमए इकोनॉमिक्स की सीटों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। 32 सालों में पहली बार इस वर्ष 70 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं। कुल 60 सीटों में से केवल 18 छात्रों ने दाखिला लिया है। इस कमी के कारण कॉलेज प्रबंधन ने 2010 से लागू सेमेस्टर प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है। जिसके बाद से दाखिलों की संख्या में निरंतर गिरावट आई है। जबसे यह प्रणाली लागू हुई छात्रों की रुचि कम होती जा रही है। जबकि पहले छात्रों की संख्या अधिक होती थी और दाखिले के लिए कई दावेदार रहते थे। अब यह स्थिति गंभीर हो गई है।
2010 के बाद से निरंतर गिर रहा छात्रों का ग्राफ
कॉलेज के प्रबंधन के अनुसार, 2010 के बाद से छात्रों का ग्राफ निरंतर नीचे गिरता जा रहा है। पहले, छात्र बिना किसी समस्या के सीधे पेपर देने आते थे, लेकिन अब सेमेस्टर प्रणाली के चलते साल में दो बार परीक्षाएं होती हैं। इसके साथ ही 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होने के कारण छात्रों की रुचि में कमी आई है। अन्य पाठ्यक्रमों में भी स्थिति बेहतर नहीं है बीए में 8, बीकॉम में 5 और बीएससी बॉयोलॉजी में 2 सीटें खाली रह गई हैं। पहले इन पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए भारी प्रतिस्पर्धा होती थी।
एमए इकोनॉमिक्स में दाखिलों की इस साल सबसे कम संख्या
प्राचार्य प्रोफेसर राजीव गुप्ता के अनुसार, कई छात्रों ने ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले लिया है। जिससे और भी सीटें खाली रह गई हैं। पिछले कुछ वर्षों से एमए इकोनॉमिक्स में दाखिलों की यह सबसे कम संख्या है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को इस स्थिति के बारे में सूचित किया गया है। यह चिंताजनक है कि इस बार के इतिहास में एमए इकोनॉमिक्स में दाखिले इतने कम हुए हैं। कॉलेज प्रबंधन इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहा है, ताकि छात्रों की रुचि को फिर से बढ़ाया जा सके और दाखिलों की संख्या में सुधार हो सके।