साबरमती मॉडल पर विकसित होगा नोएडा का तटीय क्षेत्र, छह सदस्यीय समिति गठित

Hindon Riverfront Project : साबरमती मॉडल पर विकसित होगा नोएडा का तटीय क्षेत्र, छह सदस्यीय समिति गठित

साबरमती मॉडल पर विकसित होगा नोएडा का तटीय क्षेत्र, छह सदस्यीय समिति गठित

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  • 10 हजार करोड़ की परियोजना को मिली नई गति
  • दो महीने में आएगी जांच की रिपोर्ट
  • 5 हजार हेक्टेयर भूमि होगी हरी-भरी
  • विकास से अतिक्रमण रोका जा सकेगा 
Noida News : नोएडा प्राधिकरण ने हिंडन नदी के संरक्षण और उसके किनारे के क्षेत्र  के लिए रिवर फ्रंट की योजना तैयार की है, जिसके लागू होने के बाद इस इलाके की सूरत पूरी तरह बदल जाएगी। इस सिलसिले में नोएडा प्राधिकरण ने हिंडन नदी के तटबंधों और पिछले 100 वर्षों के बाढ़ पैटर्न की जांच के लिए एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। मंगलवार को प्राधिकरण द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार, समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

10 हजार करोड़ रुपये की परियोजना
नोएडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम लंबे समय से प्रतीक्षित 10 हजार करोड़ रुपये की रिवरफ्रंट विकास परियोजना को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह समिति बाढ़ के पैटर्न, भूजल पुनर्भरण और क्षेत्र को सुलभ बनाने की व्यवहार्यता का अध्ययन करेगी। इस समिति में प्राधिकरण एसीईओ सतीश पाल, महाप्रबंधक (योजना) मीना भार्गव, महाप्रबंधक (जल), उप महाप्रबंधक (सिविल), सिंचाई विभाग के एक कार्यकारी अभियंता और पर्यावरणविद् अभिष्ट कुसुम गुप्ता शामिल हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर रिवरफ्रंट विकास की योजना को आगे बढ़ाएंगे।

दस हजार परिवारों को डूब क्षेत्र से हटाया जाएगा
डूब क्षेत्र में रह रहे काफी परिवाराें को भी हटाया जाएगा। इस सभी को वैसे भी खतरा रहता है क्योंकि बरसात के मौसम में यहां बाढ़ आ जाती है। ऐसे में लगभग 10 हजार परिवारों को विस्थापित करना होगा, जिसके लिए लगभग 4 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, किसानों से जमीन खरीदने में लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

पर्यटन पर जोर 
गौरतलब ही कि 2013 में प्रस्तावित यह परियोजना गुजरात की साबरमती रिवरफ्रंट परियोजना की तर्ज पर तैयार की गई थी। इसका उद्देश्य जिले में 3,781 हेक्टेयर बाढ़ के मैदानों का संरक्षण और विकास करना है। हालांकि, बजटीय बाधाओं के कारण यह परियोजना वर्षों से लंबित थी। परियोजना के तहत नदी के किनारे 5 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर कोई शहरी गतिविधि नहीं होगी। इसके बजाय, इस क्षेत्र को हरा-भरा रखने और मनोरंजन और पर्यटन गतिविधियों के लिए विकसित करने का प्रस्ताव है।

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