Noida News : नोएडा के प्रोग्रेसिव कम्युनिटी फाउंडेशन ने प्राधिकरण (Noida Authority) की सीईओ ऋतु महेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari IAS) को एक खत लिख कर वेस्ट मैनेजमेंट सेल बनाने की मांग की है। संगठन ने कहा है कि अक्टूबर से जिले की हवा जहरीली होनी शुरू हो जाती है। इसकी रोकथाम के लिए एक स्थायी समाधान की जरूरत है। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने भी संगठन के सदस्य अमित गुप्ता की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सीईओ को इस सेल के गठन का निर्देश दिया था। यूपीपीसीबी ने गौतमबुद्ध नगर में 8 हॉटस्पॉट जोन चिन्हित किए हैं, जहां से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। अक्टूबर से लेकर अगले साल तक निवासियों को विषैली हवा में सांस लेना पड़ेगा।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी को लिखे अपने पत्र में प्रोग्रेसिव कम्युनिटी फाउंडेशन के सदस्य अमित गुप्ता ने लिखा है, हम आपका ध्यान नोएडा में होने वाले प्रदूषण की तरफ दिलाना चाहते हैं। खास तौर पर 7x सेक्टर में लोगों का बुरा हाल है। इसकी रोकथाम के लिए सीएक्यूएम के आदेशानुसार एक डस्ट मैनेजमेंट सेल गठित करने की मांग करते हैं। 7x सेक्टर (73-79) प्रदूषण फैलाने वाले 8 हॉटस्पॉट स्थानों में चिन्हित हुआ है। हालांकि प्राधिकरण ने धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए डस्ट फ्री जोन बनाए हैं। निवासी उसकी प्रशंसा करते हैं। साथ ही 7x सेक्टर में टाइल वर्क कराया गया है। फिर भी प्रदूषण की समस्या विकराल है।
अमित गुप्ता ने इसकी वजहें गिनाई हैं। उन्होंने कहा है कि -
1-सेक्टर-74, 75, 76 और 79 के बिल्डर अभी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिए गए 14 नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। इस वजह से प्रदूषण की रोकथाम के अभियान को झटका लग रहा है। 2-पूरे शहर में डंपर एनजीटी के नियमों की अवहेलना कर दौड़ रहे हैं। इसके चलते भी प्रदूषण हो रहा है। 3-तमाम टेलीकॉम वेंडर्स केबल बिछाने और नोएडा प्राधिकरण के तमाम विभाग पाइप रिपेयरिंग के बाद सड़कों को खराब हालत में छोड़ देते हैं। इस वजह से भी प्रदूषण हो रहा है। नोएडा प्राधिकरण के कॉन्ट्रैक्टर भी एनजीटी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। 4-सेक्टर-112, 104 समेत अन्य सेक्टर में होने वाले निर्माण कार्य में भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस वजह से वायु प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है।
अमित गुप्ता ने आगे कहा है, धीरे-धीरे शहर की हवा खराब हो रही है। अगले कुछ हफ्तों में यह पूरी तरह विषैली हो जाएगी। इसकी रोकथाम के लिए एक डस्ट मैनेजमेंट सेल का गठन बेहद जरूरी है। उसके बाद ही इस भयावह समस्या से पार पाया जा सकेगा। क्योंकि प्रदूषण की समस्या पूरे साल बनी रहती है।