Noida News : नोएडा में प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती नजर आ रही है। प्रदूषण के मामले में नोएडा दिल्ली को भी पीछे छोड़ता दिख रहा है। प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में से एक पराली जलाने माना जाता है। ये धुआं लोगों की सांसों में रूकावट लाता है और उन्हें अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नोएडा में धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है। सेक्टर-150 से सटे खेतों में सोमवार को पराली जलाने और उसके जहरीले धुएं ने नोएडा अथॉरिटी और प्रशासन के दावों की धज्जियां उड़ा दीं।
दिवाली के बाद और बुरे हो जाएंगे हालात
नवंबर में दिवाली है। इस त्योहार के आसपास शहर का वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है, इतना ही नहीं नोएडा और ग्रेटर नोएडा की गिनती देश के सबसे प्रदूषित शहरों में होती है। प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को लागू करने की तैयारी कर ली है, जिसके लिए आज यानी मंगलवार से प्रभावी कदम उठाए जाने हैं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि प्रदूषण को लेकर एक्शन प्लान सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। शहर में वायु प्रदूषण के कारण सांस, हृदय और आंख संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
अधिकारियों को पराली जलाने की किसी घटना की जानकारी नहीं मिली
लोगों का कहना है कि यह हाल सिर्फ सेक्टर-150 या उसके आसपास का नहीं, बल्कि जिले के कई रिहायशी इलाकों का है। यहां के लोग जहरीले धुएं के बीच रहने को मजबूर हैं। अधिकारियों और प्रशासन की निष्क्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार अधिकारियों को पराली जलाने की किसी घटना की जानकारी नहीं मिली है, जबकि शहर से लेकर गांव तक हर रोज पराली जलाई जा रही है। यह हाल तब है जब शहर को प्रदूषण से बचाने की जिम्मेदारी 19 विभागों के हाथ में है। पराली जलाने की किसी को खबर तक नहीं लगी। शाम तक आग धधकती रही और खुद ही बुझ गई।
पराली जलाने पर छह महीने तक की कैद संभव
जिला प्रशासन के मुताबिक पराली जलाने पर छह महीने तक की कैद संभव है। अगर कोई व्यक्ति पराली जलाता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। इसमें छह माह की सजा या अधिकतम 15 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। प्रशासन की सख्ती न होने के कारण पराली जलाने पर रोक नहीं लग पा रही है। सोसायटी के लोगों का जीना दूभर हो गया है।