Noida News : सेक्टर-62 में विजयदशमी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस वर्ष की विशेषता यह रही कि परंपरागत रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों के साथ-साथ महंगाई, आतंकवाद और महिला उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों के प्रतीकात्मक पुतलों का भी दहन किया गया। समारोह में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे विशाल पुतले, जिनमें रावण का 70 फीट, कुंभकरण का 65 फीट और मेघनाद का 60 फीट ऊंचा पुतला शामिल था। इन पुतलों के दहन के माध्यम से न केवल पौराणिक बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया, बल्कि वर्तमान समय की सामाजिक चुनौतियों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया।
महेश शर्मा बोले
कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्रीराम मित्र मंडल रामलीला समिति के महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया। समिति के चेयरमैन उमाशंकर गर्ग एवं अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने अतिथियों का विशेष सम्मान किया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि विजयदशमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जैसे भगवान श्रीराम ने रावण को उसके गलत कृत्यों की सजा दी और असत्य पर सत्य की विजय का परचम लहराया, वैसे ही अपने जीवन में भी बुराइयों पर विजय पाने का प्रयास करना चाहिए।
रामलीला का मंचन
रामलीला के अंतिम दृश्य में रावण और राम की सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध का मंचन किया गया। दर्शकों ने उत्साह के साथ लक्ष्मण और रावण के बीच, फिर हनुमान और रावण के बीच हुए युद्ध को देखा। हनुमान के एक प्रहार से रावण के मूर्छित होने और फिर शक्ति प्राप्त करने के लिए यज्ञ करने का दृश्य भी बड़े ही नाटकीय ढंग से प्रस्तुत किया गया। अंतिम क्षणों में जब विभीषण ने श्रीराम को रावण की कमजोरी बताई, तब भगवान राम ने अपने दिव्य बाण से रावण की नाभि में प्रहार किया। इस प्रहार से रावण के सिर और भुजाएं कट गईं और वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। इस तरह रावण अपने कुल सहित भगवान के परमधाम को प्राप्त हुआ। इस दृश्य के साथ ही आकाश से देवताओं द्वारा पुष्प वर्षा का भी मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया गया। मंचन की आखिर में भगवान राम द्वारा विभीषण का राजतिलक कर सिंहासन पर बिठाने का दृश्य दिखाया गया, जो न्याय और सद्भावना का प्रतीक था।