वायु प्रदूषण और पर्यावरण संकट पर वक्ताओं ने की गहरी चिंता व्यक्त,  सामाजिक और सांस्कृतिक चिंतन पर जोर

नोएडा में प्रेरणा विमर्श 2024 : वायु प्रदूषण और पर्यावरण संकट पर वक्ताओं ने की गहरी चिंता व्यक्त,  सामाजिक और सांस्कृतिक चिंतन पर जोर

वायु प्रदूषण और पर्यावरण संकट पर वक्ताओं ने की गहरी चिंता व्यक्त,  सामाजिक और सांस्कृतिक चिंतन पर जोर

ट्राई सिटी | कार्यक्रम में भाग लेते अतिथि

Noida News : प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वावधान में नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित हुए कार्यक्रम प्रेरणा विमर्श 2024 का समापन रविवार को किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन के अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जीवन में सौभाग्य तब आता है, जब व्यक्ति उसे पहचानने में सक्षम होता है। उन्होंने भारत की भूमि को साधु, संतों और तपस्वियों की भूमि बताते हुए पंच महाभूतों के महत्व को उजागर किया।

पर्यावरण के संकट पर भी की चिंता व्यक्त 
डॉ. चिन्मय पंड्या ने पर्यावरण के संकट पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि वायु प्रदूषण से जितने लोग मर रहे हैं, उतने युद्ध से नहीं। उन्होंने आगे कहा कि 34 प्रतिशत बारिश एसिडिक हो रही है और यह हमारे भवनों की आयु को घटा रही है। उन्होंने समाज की सशक्तीकरण के लिए व्यक्ति के संस्कारों के महत्व को बताया और कहा कि जब व्यक्ति संस्कारित होता है, तो वह एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण करता है। इसके साथ ही उन्होंने कर्तव्यों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि समाज का उत्थान संभव हो सके।

नागरिक कर्तव्य पर की चर्चा 
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने रिश्तों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर संकट संस्कृति पर है, तो यह राष्ट्र पर भी असर डालता है। सभी रिश्तों की अपनी विशेषताएं और कर्तव्य होते हैं और हमें इन्हें समझने की आवश्यकता है। उन्होंने पंच परिवर्तन के विषयों को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचाने की बात कही। इस दिन नागरिक कर्तव्य पर लेखकों और विचारकों ने चर्चा की, जिनमें स्वदेशी जागरण मंच के सतीश कुमार ने स्वधर्म के महत्व पर प्रकाश डाला।

कर्तव्यों का पालन तभी संभव है, जब मन संस्कारित हो
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में नागरिक कर्तव्य पर चर्चा की गई। जिसमें प्रो. डॉ. शशिबाला ने कर्तव्यों के पालन को संस्कारों से जोड़ते हुए कहा कि कर्तव्यों का पालन तभी संभव है, जब मन संस्कारित हो। सांसद और पूर्व डीजीपी बृज लाल ने संविधान की रक्षा करने और उसके निर्देशों का पालन करने की बात की। उन्होंने बताया कि संस्कार विहीनता समाज में तेजी से फैल रही है और इससे देश की संस्कृति को खतरा है। अंत में वक्ताओं ने श्रोताओं के सवालों का उत्तर देकर उनके मन में उत्पन्न जिज्ञासाओं को शांत किया।

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