दिवालिया प्रक्रिया से बचने की कोशिश में सुपरटेक, लेकिन प्राधिकरण...

Noida Supernova Project : दिवालिया प्रक्रिया से बचने की कोशिश में सुपरटेक, लेकिन प्राधिकरण...

दिवालिया प्रक्रिया से बचने की कोशिश में सुपरटेक, लेकिन प्राधिकरण...

Google Photo | Supernova Project

Noida News : नोएडा के प्रतिष्ठित सेक्टर-94 में स्थित सुपरटेक रियल्टर्स की महत्वाकांक्षी सुपरनोवा परियोजना एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कंपनी ने दिवालिया प्रक्रिया से बचने के लिए एक बड़ा दांव खेला है। सुपरटेक ने अपने प्रमुख ऋणदाता बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 168.04 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान करने का प्रस्ताव रखा है।

सीओसी के गठन पर रोक 
यह चौंकाने वाला प्रस्ताव नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चल रही सुनवाई के दौरान सामने आया। ट्रिब्यूनल ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हुए कर्ज देने वाले से निर्णय लेने के लिए कहा है। इस बीच एनसीएलएटी ने इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) द्वारा गठित की जाने वाली कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) के गठन पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 8 अगस्त को निर्धारित की गई है।

भुगतान करने का प्रस्ताव
एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय बेंच का मानना है कि सुपरटेक रियल्टर्स ने ऋणदाता कंपनी को एक बार में पूरा भुगतान करने का प्रस्ताव दिया है। लीड बैंक भी इस प्रस्ताव से सहमत प्रतीत होता है। हालांकि, अंतिम निर्णय प्रमुख याचिकाकर्ता बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लेना है। इसके साथ ही, बैंक के चार सदस्यीय कंसोर्टियम को भी इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति देनी होगी।

एनओसी के लिए किया आवेदन 
इस प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा नोएडा प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना है। सुपरटेक पहले से ही प्राधिकरण का एक बड़ा कर्जदार है, जो इस मामले को और जटिल बना देता है। कंपनी ने प्राधिकरण के पास एनओसी के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। सुपरटेक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को पूरी राशि 90 दिनों के भीतर चुकाने का प्रस्ताव दिया है। हम अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लेकर यह राशि जुटाना चाहते हैं।"

विशेषज्ञों की राय 
रियल एस्टेट विशेषज्ञों ने बताया कि यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। सुपरटेक एक तरफ दिवालिया होने से बचना चाहता है, वहीं दूसरी ओर नोएडा प्राधिकरण का बकाया भी एक बड़ी चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी इन दोनों मोर्चों पर कैसे संतुलन बनाती है। वहीं, एक ओर जहां डेवलपर्स ऋण चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्राहक अपने सपनों के घर के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं। इस बीच स्थानीय निवासियों और निवेशकों की नजरें इस मामले पर टिकी हुई हैं।

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