Noida News : नोएडा के सेक्टर 107 में लोटस 300 हाउसिंग प्रोजेक्ट के डेवलपर्स, हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (HPPL)के निदेशकों की प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच से संबंधित अपने 11 जून के आदेश को संशोधित किया है। इससे कंपनी के निदेशकों के साथ कंपनी को भी झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने कंपनी के निदेशकों की ईडी जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर स्टे दिया है। यह स्टे किसी भी अन्य कानूनी कार्रवाइयों को नहीं रोकता है। इससे साफ है कि ईडी की कार्रवाई के अलावा नोएडा प्राधिकरण की तरफ से जो भी कानूनी कार्रवाई की जानी है, उस पर स्टे का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया आदेश
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि कोर्ट स्टे किसी भी अधिकारी को कानून के अनुसार आगे बढ़ने से नहीं रोकता है। अपने 30 अगस्त के आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने कंपनी के निदेशकों की ईडी जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी है, लेकिन स्टे ऑर्डर मामले से संबंधित अन्य कानूनी कार्रवाइयों को नहीं रोकता है। पीठ के संशोधित आदेश में कहा गया है कि “हमने 11 जून 2024 के आदेश के अनुसार, निर्णय के पैराग्राफ 114 के संचालन पर रोक लगा दी है। हालांकि यह रोक किसी भी अधिकारी को कानून के अनुसार आगे बढ़ने से नहीं रोकती या प्रतिबंधित नहीं करती है। “यह प्रस्तुत किया गया है कि न्यायालय द्वारा 11 जून 2014 के आदेश में आरोपित निर्णय के पैराग्राफ 117 के विशिष्ट संदर्भ के साथ दिए गए निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया है।
नोएडा प्राधिकरण एक माह में जमा करेगा हलफनामा
कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण इस आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर न्यायालय में एक हलफनामा दायर करेगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि क्या उसने आरोपित निर्णय (इलाहाबाद HC फरवरी निर्णय) के पैराग्राफ 117 में दिए गए निर्देश का अनुपालन किया है। यदि उसने इसका अनुपालन नहीं किया है, तो इसका कारण बताया जाएगा। अंतरिम आदेश, आज किए गए संशोधनों के अधीन, 2 एसएलपी (सी) संख्या 12784-12786/2024 सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 09.12.2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में फिर से सूचीबद्ध किया। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डा लोकेश एम ने कहा अदालत के निर्देशानुसार दिए गए समय सीमा के भीतर इस मामले में जवाब दाखिल करेंगे।
ईडी ने कोर्ट से की पक्षकार बनाने की मांग
इस मामले में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है। जिसमें कहा गया है कि ईडी ने उच्च न्यायालय के फरवरी के आदेश के आधार पर जांच शुरू की है। ईडी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि डेवलपर कंपनी ने घर खरीदारों के पैसे को डायवर्ट किया और प्रमोटरों/निदेशकों ने एक ही कार्यप्रणाली का उपयोग करके कई परियोजनाओं में कई घर खरीदारों को धोखा दिया है।
बकाया के कारण पर रोक
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फरवरी 2024 के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण और डेवलपर्स दोनों ने उच्च न्यायालय में रिव्यू पिटिशन दायर कीं। जिन्हें खारिज कर दिया गया। प्राधिकरण ने लोटस 300 परियोजना में रजिस्ट्री कराए जाने में असमर्थता जताई थी। प्राधिकरण ने इसका कारण बताया था कि डेवलपर पर करीब 166 करोड़ से अधिक की धनराशि अभी भी बकाया है।