हजारों खरीदारों के सपने अधूरे, सुपरटेक समेत इन बिल्डरों पर 10 हजार करोड़ का बकाया

नोएडा की प्रॉपर्टी परियोजनाओं पर संकट के बादल : हजारों खरीदारों के सपने अधूरे, सुपरटेक समेत इन बिल्डरों पर 10 हजार करोड़ का बकाया

हजारों खरीदारों के सपने अधूरे, सुपरटेक समेत इन बिल्डरों पर 10 हजार करोड़ का बकाया

Tricity Today | Symbolic

Noida News : नोएडा में बड़ी संख्या में निर्माण परियोजनाएं आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। नोएडा प्राधिकरण की 25 परियोजनाएं अब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के सामने हैं। इन परियोजनाओं पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। यह स्थिति हजारों फ्लैट, दुकान और कार्यालय खरीदारों के लिए चिंता का विषय बन गई है।

क्या है मामला 
2010 के बाद से नोएडा प्राधिकरण ने कई बिल्डरों को जमीन आवंटित की। बिल्डरों ने निर्माण और साथ ही बुकिंग भी शुरू किया। शुरुआत में जैसे-जैसे निर्माण पूरा होता गया, खरीदारों को फ्लैट मिलते गए। लेकिन बाद में यह प्रक्रिया धीमी हो गई। जब बिल्डरों पर बकाया बढ़ने लगा, तो प्राधिकरण ने भुगतान के लिए दबाव डाला। लेकिन बिल्डरों ने पैसे जमा नहीं किए। इसके बाद बैंकों और अन्य लेनदारों ने भी अपने पैसे वापस मांगने के लिए दबाव बनाया। आखिर में कई मामले एनसीएलटी पहुंच गए।

दिवालिया प्रक्रिया की तैयारी
एनसीएलटी में याचिका स्वीकार होने के बाद इन परियोजनाओं के लिए इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) नियुक्त किए गए। अब इन पर दिवालिया प्रक्रिया चल रही है। हालांकि यह प्रक्रिया 270 दिनों में पूरी होनी चाहिए, कई मामलों में यह चार-पांच साल तक चल रही है। इस स्थिति में सबसे ज्यादा नुकसान खरीदारों का हुआ है। वे न तो अपने फ्लैट पा रहे हैं और न ही उनकी रजिस्ट्री हो पा रही है। नोएडा में फ्लैट की रजिस्ट्री त्रिपक्षीय होती है, जिसमें बिल्डर और खरीदार के अलावा प्राधिकरण भी शामिल होता है। लेकिन जहां प्राधिकरण का बकाया है, वहां वह रजिस्ट्री के लिए हामी नहीं भर रहा है।

इन बड़े बिल्डरों पर बकाया
कुछ राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कुछ परियोजनाओं में रजिस्ट्री कराने का आदेश दिया है। उदाहरण के लिए, सेक्टर-107 की लोटस 300 परियोजना में चार सप्ताह के भीतर दो टावरों की रजिस्ट्री कराने का निर्देश दिया गया है। यह समस्या केवल आवासीय परियोजनाओं तक ही सीमित नहीं है। वाणिज्यिक बिल्डर परियोजनाओं में भी करोड़ों का बकाया है और उनके मामले भी एनसीएलटी में विचाराधीन हैं। कुछ प्रमुख परियोजनाओं जैसे सुपरटेक लिमिटेड, अजनारा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड पर सैकड़ों करोड़ का बकाया है।

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