Noida News : नोएडा एक्सप्रेसवे पर नए अंडरपास निर्माण के लिए डायाफ्राम तकनीक (Diaphragm Wall Technique) का प्रयोग किया जाएगा। यह तकनीक पुशबाक्स तकनीक (Pushbox Technique) से बेहतर मानी जा रही है। इस निर्णय के पीछे कई कारण हैं, जिनसे यह तकनीक अधिक प्रभावी, सुरक्षित और लॉन्ग टर्म परिणाम देने वाली साबित हो सकती है।
यह होती है डायाफ्राम तकनीक
डायाफ्राम वॉल तकनीक एक अत्याधुनिक निर्माण विधि है, जो जमीन के अंदर गहरी दीवारें बनाने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें, विशेष रूप से भूजल प्रवाह को रोकने के लिए, कंक्रीट की दीवारें बनाई जाती हैं जो अत्यधिक दबाव और पानी के प्रवाह को सहन कर सकती हैं। यह तकनीक अंडरपास निर्माण, सुरंगों और पुलों के निर्माण में प्रयोग की जाती है।
यह है पुशबाक्स तकनीक
पुशबाक्स तकनीक में, अंडरपास के निर्माण के दौरान विशेष प्रकार के बॉक्स (Pushbox) को जमीन के नीचे दबाया जाता है। यह बॉक्स पहले से तैयार किया जाता है और फिर इसे भूमिगत दबाव का सामना करते हुए अंदर डाला जाता है। हालांकि, यह तकनीक भी प्रभावी है, लेकिन डायाफ्राम तकनीक की तुलना में कुछ मामलों में कम स्थिर होती है। इस तकनीक का प्रयोग अंडरपास बनाने के लिए किए जाने पर ऊपर की सड़क के धंसने की समस्या आ जाती है।
डायाफ्राम तकनीक के हैं कई फायदे
डायाफ्राम दीवारें भूजल को रोकने के साथ ऊपर की सड़क या मिट्टी को खिसकने से रोकने में अधिक प्रभावी होती हैं। इससे जलस्तर में बदलाव के कारण निर्माण कार्य में कोई रुकावट नहीं आती, और अंडरपास की संरचना अधिक स्थिर रहती है। पुशबाक्स तकनीक में जलप्रवाह को नियंत्रित करना एक चुनौती हो सकती है, विशेष रूप से गहरे अंडरपास में। डायाफ्राम वॉल को जमीन की बहुत गहरी परतों तक बनाया जा सकता है, जिससे यह अंडरपास के निर्माण में अत्यधिक दबाव और जल के प्रभाव से बचाव करता है। यह विशेष रूप से उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जहां भूसंरचना अधिक कठिन होती है या जलस्तर बहुत ऊंचा होता है।
अधिक मजबूत बनती हैं दीवारें
डायाफ्राम दीवारें अधिक मजबूत और स्थिर होती हैं। यह तकनीक अंडरपास के निर्माण के दौरान भूमिगत सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। डायाफ्राम तकनीक अधिक दीर्घकालिक और टिकाऊ होती है। यह बुरी मौसम स्थितियों और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों के खिलाफ अधिक स्थिर रहती है। पुशबाक्स तकनीक में यह दीर्घकालिक मजबूती की कमी हो सकती है, क्योंकि यह ज्यादातर एकल संरचनाओं पर निर्भर करती है। डायाफ्राम वॉल तकनीक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अधिक अनुकूल होती है। इसके द्वारा बनाए गए अंडरपास के आसपास की पारिस्थितिकी पर कम प्रभाव पड़ता है।