Noida/Lucknow News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) द्वारा कराए गए एक सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। शहर के चौराहों और मंदिरों के पास भिक्षावृत्ति करने वाले लोग एक महीने में लगभग 90 हजार रुपये और साल में 11 लाख रुपये तक कमा लेते हैं, जो कि कई नौकरीपेशा लोगों की आय से भी अधिक है।
भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान चला रही सरकार
सर्वे में सामने आया है कि लखनऊ में 5,312 भिखारी सक्रिय हैं, जिनमें से कई के पास स्मार्टफोन और पैन कार्ड जैसे आधुनिक उपकरण भी मौजूद हैं। इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए शहर प्रशासन ने पांच विभागों की एक संयुक्त टीम का गठन किया है, जो 19 अक्टूबर से भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान चला रही है। नगर निगम, पुलिस विभाग, जिला नगरीय विकास अभिकरण, समाज कल्याण विभाग, महिला कल्याण विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने हजरतगंज, लाल बत्ती, अवध चौराहा, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और चारबाग चौराहे को हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया है, जहां भिक्षावृत्ति की गतिविधियां सबसे अधिक देखी गई हैं।
15 दिनों की होगी समीक्षा
भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान की 15 दिनों में समीक्षा की जाएगी, जिसमें भिक्षावृत्ति में संलिप्त परिवारों और बच्चों के पुनर्वास तथा सामाजिक एकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रशासन का लक्ष्य इन लोगों को मुख्यधारा में लाकर समाज का उत्पादक हिस्सा बनाना है।