-सपा ने पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित किया
-1993 से अब तक सात में से छह बार सपा की जीत
-2022 में अखिलेश यादव ने 67,000+ वोटों से जीता
-सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सवा लाख
-शाक्य, क्षत्रिय, जाटव समेत अन्य जातियों का भी प्रभाव
Uttar Pradesh : उपचुनाव की रणभेरी गूंजने के साथ करहल में घमासान की शुरुआत हो गई है। सपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट से पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव होने जा रहा है। अखिलेश यादव ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए अपने भतीजे पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव पर दांव लगाया है। दूसरी तरफ भाजपा कई महीनों से इस गढ़ को ढहाने के लिए पसीना बहा रही है। हालांकि, भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। आज हम सुर्खियों में रहने वाली इस सीट के बारे में विस्तार से जानेंगे।
करहल विधानसभा सीट
करहल विधानसभा सीट मैनपुरी जिले में है। यहां से अखिलेश यादव पहली बार यूपी चुनाव 2022 में जीत दर्ज कर विधायक बने थे। 2012 में मुख्यमंत्री बनने के दौरान अखिलेश यादव विधान परिषद सदस्य चुने गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरकर अखिलेश ने जीत दर्ज की। इसके बाद यह सीट खाली हो गई थी। समाजवादी पार्टी ने यहां से अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। बाकी किसी पार्टी ने यहां से अभी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
भाजपा के ये नाम हैं खास
यहां मैदान में उतारने के लिए केसरिया खेमा, अनुजेश यादव, सलोनी बघेल और डा. संघमित्रा मौर्य के नाम पर मंथन चल रहा है। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव के पति हैं, जबकि सलोनी बघेल केंंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल की पुत्री हैं। पूर्व सांसद डा. संघमित्रा मौर्य मैनपुरी से भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। वहीं, बसपा भी ताल ठोकने को तैयार है और माना जा रहा है कि बसपा शाक्य प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है।
अखिलेश ने पहली बार लड़ा था यहां से चुनाव
करहल विधानसभा सीट सपा मुखिया अखिलेश यादव के गांव सैफई से सटी हुई है। इस क्षेत्र में स्व. मुलायम सिंह यादव के समय से सपा का दबदबा बना हुआ है। पूरे सैफई परिवार की यहां गहरी पैठ मानी जाती है। यादव मतों की बहुलता वाली इस विधानसभा सीट पर वर्ष 1993 से 2022 तक हुए सात विधानसभा चुनावों में से छह बार सपा जीती हैं, जबकि भाजपा केवल एक बार वर्ष 2002 में जीत तक पहुंची थी। बीते चार चुनावों से सपा लगातार विरोधियों को पछाड़ रही है। इसके चलते ही वर्ष 2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपना पहला विधानसभा चुनाव इसी सीट पर लड़ा था। तब भाजपा ने केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को मैदान में उतारा था, परंतु उनको 67 हजार से अधिक वोटों के अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा था।
बसपा का प्रत्याशी भी दिखाएगा दम
मंगलवार को अधिसूचना जारी होते ही बसपा प्रमुख मायावती ने जिलाध्यक्ष के साथ मंडल को-ऑर्डिनेटर व अन्य जिला पदाधिकारियों को लखनऊ बुला लिया। पार्टी नेताओं के अनुसार प्रत्याशी चयन के लिए पैनल में शाक्य, लोधी, पाल और यादव समाज के दावेदारों के नाम शामिल किए गए हैं।
यह हैं जातीय समीकरण
यहां के मतदाताओं के जातीय समीकरणों को सपा अपने लिए बेहतर मानती है। इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सवा लाख बताई जाती है। इसके बाद दूसरे नंबर शाक्य मतदाता आते हैं, जिनकी संख्या 40 हजार के आसपास मानी जाती है। क्षत्रिय और जाटव मतदाता 30-30 हजार हैं। पाल-धनगर मतदाताओं की संख्या 25 से 30 हजार के बीच मानी जाती है। ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता 15-15 हजार बताए जाते हैं। कठेरिया समाज और लोधी समाज के मतदाता 18-18 हजार के आसपास बताई जाती है।