BREAKING :  7 दशक बाद टाटा संस को मिली एयर इंडिया की कमान, 18 हजार करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई

Google Image | 7 दशक बाद टाटा संस को मिली एयर इंडिया की कमान



New Delhi : टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाकर एयर इंडिया को खरीद लिया है। इसके साथ ही एयर इंडिया 68 साल बाद टाटा सन्स ग्रुप में फिर शामिल हो गई है। इस राष्ट्रीयकृत कैरियर के लिए सरकार की ओर से बोली लगवाई गई थी। सबसे ज्यादा बोली टाटा सन्स ने लगाई है। दीपम सचिव तुहीन कांता पांडे ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बारे में जानकारी दी।

टाटा सन्स की एयर इंडिया और इसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी होगी। जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत शेयर मिलेंगे। निवेश एवं लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग सचिव ने बताया कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज शामिल है। बाकी नकद भुगतान शामिल है। सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा से 2,700 करोड़ रुपये नकद मिलेंगे।

5 साल रखना होगा
थोड़ी देर पहले दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे और नागर विमानन मंत्रालय सचिव राजीव बंसल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उस दौरान उन्होंने बताया कि एयर इंडिया का मालिकाना हक मिलने के बाद नए मालिक टाटा संस को इससे जुड़े नाम और लोगो को 5 साल तक रखना है। टाटा संस चाहे तो 5 साल बाद एयर इंडिया का नाम और लोगो ट्रांसफर कर सकती है। हालांकि इसमें एक शर्त रखी गई है। इसके मुताबिक यह नाम और लोगो किसी भारतीय व्यक्ति को ही बेचा जा सकेगा। कोई भी गैर-भारतीय इसे नहीं खरीद सकेगा।

वर्ष 1932 में हुई थी शुरुआत
हालांकि पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप का हिस्सा होगी। दरअसल एयर इंडिया की शुरुआत साल 1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी। कुशल पायलट जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस के रूप में इसे शुरू किया था। बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हवाई सेवा का दायरा और जरूरत बढ़ी। भारत में भी हवाई यात्रा की मांग बढ़ी। तब एयर इंडिया को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया था। 

सरकार ने खरीदी हिस्सेदारी
साल 1947 में देश की आजादी के बाद भारत सरकार को एक राष्ट्रीय एयरलाइन की जरूरत थी। तब सरकार ने एयर इंडिया में 49 फ़ीसदी हिस्सेदारी ली। बाद में वर्ष 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा ग्रुप से एयर इंडिया की ज्यादातर हिस्सेदारी खरीद ली। इसके बाद इस एयरलाइन का संचालन सरकार के हाथों में आ गया था।

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