यूपी के कैप्टन अंशुमान सिंह मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्नी स्मृति को सौंपा पुरस्कार, बलिदान को किया याद 

Tricity Today | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्नी स्मृति को सौंपा पुरस्कार



New Delhi News : दिल्ली में राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कैप्टन अंशुमान सिंह, आर्मी मेडिकल कोर, 26 वीं बटालियन पंजाब रेजिमेंट को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। अपनी जान की परवाह न करते हुए, उन्होंने एक बड़ी आग की घटना में कई लोगों को बचाने के लिए असाधारण बहादुरी और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया था। यह पल उनकी पत्नी  स्मृति सिंह और माता मनजु सिंह के लिए भावुक क्षण था, जिन्होंने नम आँखों से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथ पुरस्कार स्वीकार किया।

कैप्टन अंशुमन सिंह कैसे हुए थे शहीद 
कैप्टन अंशुमन सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के रहने वाले थे, और वह सशस्त्र सेना मेडिकल कॉलेज में चयनित हुए, जुलाई 2023 में सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद के भंडार में आग लगने की दुर्घटना के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह का निधन हो गया। कैप्टन सिंह ने फाइबर-ग्लास हट के अंदर फंसे एक साथी सैन्य अधिकारी को बचाया था। आग एक चिकित्सा जांच आश्रय तक फैल गई और जीवन रक्षक दवाइयां निकालने की कोशिश करते समय उनकी जान चली गई।

देवरिया जिले के मूल निवासी थे :
कैप्टन अंशुमन सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के रहने वाले थे, औऱ वह सशस्त्र सेना मेडिकल कॉलेज में चयनित हुए। कैप्टन अंशुमन सिंह बहुत होशियार और जांबाज थे। उन्होंने पंजाब रेजिमेंट की 26 वीं बटालियन की आर्मी मेडिकल कोर के डॉक्टर के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई, परंतु एक बड़ी आग की घटना में कई लोगों को बचाने के लिए असाधारण बहादुरी और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करने के लिए उनको  कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन 
20000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है,सशस्त्र बलों के लिए जलवायु की स्थिति सबसे बड़ी चुनौती है। सर्दियों में सियाचिन ग्लेशियर में तापमान -60 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। हिमस्खलन, ग्लेशियर पर दरारें, तेज़ हवाएँ चलने का भी लगातार खतरा बना रहता है। इस क्षेत्र में तैनात सैनिक कई तरह की घातक ऊँचाई से जुड़ी बीमारियों जैसे कि फ्रॉस्ट बाइट, हाइपोक्सिया, हाइपोथर्मिया और व्हाइट आउट से प्रभावित होते हैं और इन खराब जलवायु परिस्थितियों में हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान को दांव पर लगाकर निस्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा कर रहे हैं।

स्मृति सिंह ने बताई अपने प्यार की कहानी 
कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह ने कहा कि  कैप्टन अंशुमन सिंह बहुत सक्षम थे। वह कहते थे कि में अपनी छाती में पीतल लेकर मर जाऊंगा पर में एक साधारण मौत नहीं मरने वाला हूं, जिसे कोई जानता ही ना हो। स्मृति सिंह बताती है कि हमारी मुलाकात एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई थी और एक महीने के बाद कैप्टन अंशुमन सिंह का चयन मेडिकल कॉलेज में हो गया था।  18 जुलाई को हमारे बीच लंबी बातचीत हुई की कि अगले 50 सालों में हमारा जीवन कैसा होगा — हम घर बनाने जा रहे हैं, बच्चे पैदा करने जा रहे हैं, और क्या नहीं। लेकिन कौन जानता है कि यह हमारी आखिरी बातचीत होगी, 19 तारीख की सुबह मुझे फोन आता है कि कैप्टन अंशुमन सिंह अब नहीं रहे, हम यह मानने को तैयार नहीं थे कि ऐसा कुछ हुआ है, मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि यह सच नहीं है पर जब मेरे हाथो में तिरंगा थमाया गया तब मैंने सोच लिया था कि अब मुझे हिम्मत नही हारनी हैं क्योंकि कैप्टन अंशुमन सिंह ने कभी अपने बारे में न सोचकर निस्वार्थ सेवा की और उन्होंने असाधारण बहादुरी और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करके अन्य  सैन्य अधिकारी को बचाया। उनके इस बलिदान को और उनकी बहादुरी को देश हमेशा याद रखेगा।

अन्य खबरें