बड़ी खबर : 5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ जूही चावला ने खोला मोर्चा, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

Google Image | जूही चावला



5G Technology के खिलाफ बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला (Actress Juhi Chawla) ने मोर्चा खोल दिया है। जूही चावला ने 5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Technology) में याचिका दाखिल की है। उन्होंने याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि सरकार को 5G टेक्नोलॉजी लागू करने से पहले इसके दुष्परिणाम को जानना चाहिए। जूही चावला का कहना है कि भारत काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, इस पर उन्हें नाज है लेकिन इस दुनिया में सिर्फ मानवता ही नहीं है। बल्कि, मानव के अलावा जीव-जंतु और पेड़-पौधे भी इस धरती पर मौजूद हैं। एक मानव का कर्तव्य है कि वह धरती पर मौजूद हर एक जीव जंतु और पेड़ पौधे की रक्षा करे।

5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
जूही चावला ने दिल्ली हाई कोर्ट में 5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ याचिका दाखिल की है। उन्होंने याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि भारत सरकार और दूरसंचार विभाग को देश में 5G टेक्नोलॉजी लागू करने से पहले इसके बारे में तमाम जनता काफी जरूरी है। उसके बाद ही भारत में 5G टेक्नोलॉजी लागू करने पर विचार किया जाए। अगर बिना अध्ययन के ही 5G टेक्नोलॉजी भारत में लागू होती है तो इससे बहुत बुरा असर पड़ेगा।

हम एडवांस टेक्नोलॉजी के खिलाफ नहीं : जूही चावला
जूही चावला का कहना है कि 'हम एडवांस टेक्नोलॉजी के खिलाफ नहीं हैं। हम लेटेस्ट प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना काफी एंजॉय करते हैं जो हमे बेहतर टेक्नोलॉजी देते हैं। वायरलेस के फील्ड में भी। हालांकि, हम इस परेशानी में भी हैं कि वायरफ्री गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावर्स से संबंधित हमारी खुद की रीसर्च और अध्ययन से ये पुख्ता तौर पर पता चलता है कि इस तरह की रेडिएशन लोगों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक है।'

5G टेक्नोलॉजी के बारे में अध्यन करना क्यों जरुरी  
जूही चावला का कहना है कि 'भारत में 5G टेक्नोलॉजी को लागू किये जाने से पहले RF रेडिएशन से मानव जाति, महिला, पुरुषों, व्यस्कों, बच्चों, शिशुओं, जानवरों, जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और पर्यावरण पर पड़नेवाले प्रभावों को लेकर अच्छे से अध्ययन किया जाए और इससे संबंधित किये गये और तमाम रिपोर्ट्स को सार्वजनिक किया जाए। इस तरह के अध्ययन से स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि क्या 5G टेक्नोलॉजी भारत की मौजूदा और आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित या नहीं और इसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर विचार किया जाए।'

 

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