नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ जैसे शहरों में लाखों फ्लैट खरीदारों को बड़ा झटका लगा है। अब यहां फ्लैट की रजिस्ट्री सुपर एरिया के आधार पर ही होगी। इस मामले को लेकर निबंधन विभाग ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। करीब 2 सप्ताह पहले गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (वित्त) की ओर से एक पत्र जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि फ्लैट की रजिस्ट्री कारपेट या कवर्ड एरिया पर होगी। सुपर एरिया पर नहीं होगी। इससे असमंजस उतपन्न हो गया था। दरअसल, कवर्ड एरिया पर रजिस्ट्री होने से खरीदार को स्टांप शुल्क में फायदा होता है, जबकि निबंधन विभाग को राजस्व का नुकसान होता है।
करीब 2 सप्ताह पहले दो खरीदारों ने शिकायत पत्र जिला प्रशासन को दिया था। जिसके आधार पर एडीएम वित्त की ओर से नोएडा प्राधिकरण और निबंधन विभाग को एक पत्र जारी किया गया था। इस पत्र में कुछ लाइन स्पष्ट नहीं थीं। ऐसे में चर्चा फैल गई कि अब फ्लैट की रजिस्ट्री कवर्ड एरिया के आधार पर होगी, सुपर एरिया के आधार पर नहीं होगी। कवर्ड एरिया में सिर्फ फ्लैट के वह एरिया आता है जो दीवारों के भीतर है और खरीदार उपयोग करता है। जबकि, सुपर एरिया में लॉबी, एलिवेटर, सीढ़ियां और अन्य हिस्सों को भी शामिल किया जाता है। ऐसे में फ्लैट का क्षेत्रफल 25 से 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। कवर्ड एरिया के आधार पर रजिस्ट्री होने से खरीदार को फायदा होता है और निबंधन विभाग को नुकसान है।
खरीदार जब निबंधन विभाग में रजिस्ट्री कराने गए तो वहां पर साफ तौर पर कह दिया गया कि सुपर एरिया पर ही रजिस्ट्री होगी। यह व्यवस्था कई सालों से चलती आ रही है। अगर इसमें बदलाव होगा तो शासन स्तर पर भी बदलाव होगा। इस वजह से करीब 15 दिन से फ्लैटों की रजिस्ट्री में रुकावट आ गई थी। इस मुद्दे पर निबंधन विभाग के सहायक महानिरीक्षक एसके त्रिपाठी का कहना है कि एडीएम के पत्र की वजह से असमंजस पैदा हो गया था। अब जिले में फ्लैट की रजिस्ट्री सुपर एरिया के आधार पर ही होगी। अगर संपत्ति की खरीद-फरोख्त सुपर एरिया के आधार पर की गई है तो कीमत अधिक होती है। इस कीमर पर ही स्टांप शुल्क लिया जाएगा। अगर किसी डीड में सुपर एरिया अंकित नहीं है तो कवर्ड एरिया का 20% बढ़ाकर स्टांप शुल्क लिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।
ऐसे होती है किसी फ्लैट की रजिस्ट्री
प्रॉपर्टी मामलों के जानकार वकील मुकेश शर्मा का कहना है कि कवर्ड एरिया में दीवारों सहित फ्लैट का एरिया नापा जाता है। सुपर एरिया में फ्लैट के साथ-साथ सीढियां, लिफ्ट, बालकनी और गैलरी आदि को भी शामिल किया जाता है। कवर्ड एरिया के आधार पर रजिस्ट्री करने के मुद्दे पर डीएम के समक्ष लिखित में कई बार आपत्ति जताई जा चुकी हैं। अभी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के नक्शे एफएआर के आधार पर पास हो रहे हैं। इसके अलावा रेरा के आने के बाद तय हुआ है कि बिल्डर कवर्ड एरिया के आधार पर फ्लैट बेचेगा। रजिस्ट्री कवर्ड एरिया पर होगी। इसको लेकर शासन स्तर से न तो एक्ट में कोई बदलाव किया गया है और ना कोई शासनादेश आया है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में एक्ट में बदलाव होने पर कवर्ड एरिया के आधार पर रजिस्ट्री हो सकती है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 40,000 फ्लैट की रजिस्ट्री अटकी है
नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा में अभी 30-40 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री अटकी हुई हैं। अगर कवर्ड एरिया के आधार पर रजिस्ट्री की जाती तो इन खरीदारों को बड़ा लाभ होता। अगर सुपर एरिया पर रजिस्ट्री होगी तो खरीदारों को अधिक पैसे चुकाने होंगे। ज्यादा स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस चुकानी पड़ेगी। इस मामले को लेकर रेरा भी रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
नोएडा के आदेश का फायदा पूरे राज्य के शहरों को मिलता
गौतमबुद्ध नगर के जिला अधिकारी का आदेश लागू कर दिया जाता तो इसका फायदा न केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों को मिलता, बल्कि पूरे राज्य में यह व्यवस्था लागू हो जाती। जिससे गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, आगरा, लखनऊ और वाराणसी जैसे बड़े शहरों में भी फ्लैट खरीदने वाले लोगों को राहत मिल जाती, लेकिन जिला प्रशासन के आदेश को निबंधन विभाग ने मानने से इनकार कर दिया है। लिहाजा, अभी फ्लैटों की रजिस्ट्री सुपर एरिया के आधार पर ही होती रहेगी।