महिला आरक्षण बिल पर बहस : मेरी जिंदगी का यह मार्मिक क्षण है, नई संसद में सोनिया को याद आए जीवनसाथी

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Delhi News : नई संसद में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने मार्मिक भाषण के दौरान भारतीय नारी की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण में उसके संघर्ष की गाथा को उकेर कर रख दिया। भाषण के दौरान सोनिया गांधी एक पल को भावुक हो उठीं, जब उन्होंने अपने जीवनसाथी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद करते हुए सदन को बताया कि पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। 

बिल को कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने की इजाजत दी, मैं आपकी आभारी हूं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से मैं “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023” के समर्थन में खड़ी हूं। उन्होंने कहा कि धुएं से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुई स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए, लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा। 

स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन
भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है। उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरफ अडिग रही। स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती। हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींचकर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है। 

आजादी की लड़ाई से नए भारत के निर्माण तक
अध्यक्ष महोदय, स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सके हैं। आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण के हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर-गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी। सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाख महिलाओं से लेकर आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में, हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है। 

और कितना इंतजार करे भारतीय स्त्री
कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। हमें इस बिल के पास होने से खुशी है, मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है। मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं- पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी का इंतजार कर रही हैं। और अब, उन्हें कुछ वर्ष और इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कितने वर्ष- 2 वर्ष? 4 वर्ष? 6 वर्ष? 8 वर्ष? क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है? 

कांग्रेस की मांग, जल्द लागू हो बिल
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए, लेकिन इसके साथ ही Caste Census  कराकर शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब, OBCs की महिलाओं के आरक्षण की भी व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे साकार करने के लिए जो कदम उठाने की जरूरत है, वह उठाने ही चाहिए। स्त्रियों के योगदान को स्वीकार करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का यह सबसे उचित समय है। इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारतीय स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से मैं, आपके द्वारा सरकार से मांग करती हूं कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को, उसके रास्ते की सारी रुकावटों को दूर करते हुए जल्द से जल्द लागू किया जाए।

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