New Delhi : भारत के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक, दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आईजीआई) एक गंभीर दुर्घटना के कारण सुर्खियों में है। बारिश के कारण हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की छत का एक बड़ा हिस्सा अचानक ढह गया, जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और चार अन्य घायल हो गए। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने न केवल हवाई यात्रा को बाधित किया है, बल्कि हवाई अड्डे के संचालन और सुरक्षा प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
आईजीआई का आर्थिक महत्व
इस घटना के बाद टर्मिनल-1 से सभी उड़ानों को रद्द और चेक-इन काउंटरों को बंद कर दिया गया है। यह कदम यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, लेकिन इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव होने की संभावना है। दिल्ली का यह हवाई अड्डा न केवल यात्री संख्या के मामले में, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी देश के सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में से एक है। Statista.com के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में इस हवाई अड्डे ने लगभग 42 अरब रुपये का राजस्व अर्जित किया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक था। प्रतिदिन लगभग 1,500 उड़ानें इस हवाई अड्डे से संचालित होती हैं, जो इसकी व्यावसायिक महत्ता को दर्शाता है।
किसके हाथ में स्वामित्व और प्रबंधन
आईजीआई हवाई अड्डे का स्वामित्व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के पास है, इसका संचालन दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) द्वारा किया जाता है। डायल एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें जीएमआर ग्रुप की 50% हिस्सेदारी है, जबकि फ्रैपोर्ट एजी और मलेशिया एयरपोर्ट्स के पास प्रत्येक की 10% हिस्सेदारी है। एएआई के पास 26% हिस्सेदारी बरकरार है, जबकि शेष हिस्सेदारी अन्य निवेशकों के पास है। टर्मिनल-1, जहां यह दुर्घटना हुई, विशेष रूप से घरेलू उड़ानों के लिए उपयोग किया जाता है और इसका स्वामित्व जीएमआर समूह के पास है।
कैसे होती है आईजीआई की कमाई
आईजीआई हवाई अड्डे की आय के विभिन्न स्रोत हैं। इसकी कुल आय का लगभग 56% हिस्सा विमानन गतिविधियों से आता है, जिसमें टर्मिनल शुल्क, लैंडिंग शुल्क और यात्री सेवा शुल्क शामिल हैं। शेष 40% आय गैर-विमानन गतिविधियों से प्राप्त होती है, जैसे कि पार्किंग शुल्क, ड्यूटी-फ्री दुकानें और अन्य वाणिज्यिक गतिविधियां। इसके अतिरिक्त, कुछ विशेष शुल्क भी लगाए जाते हैं, जैसे कि रनवे उपयोग शुल्क, जो विमान के वजन पर आधारित होता है।