Tricity Today | मेट्रो में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई
New Delhi : आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Bajpai) का जन्म दिवस है। यह तारीख दिल्ली मेट्रो रेल के जन्म की भी तारीख है। आज ही के दिन पहली बार दिल्ली के लोगों ने एक सपने को पूरा होते हुए देखा था। हालांकि, वह महज एक कदम भर था, लेकिन आज उसी दिल्ली मेट्रो की बदौलत रोजाना लाखों लोग मीलों का फासला तय कर रहे हैं। एक कदम ही कारवां बन जाता है, दिल्ली मेट्रो रेल इसकी मिसाल है।
दिल्ली मेट्रो की शुरुआत वर्ष 1998 में रेड लाइन से हुई थी। करीब 4 साल बाद पहली बार 25 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस रूट पर तीस हजारी से शाहदरा तक पहले चरण का शुभारंभ किया था। यह दूरी केवल 8.35 किलोमीटर की थी। उसी दिन इसे जनता के लिए खोला गया। 3 अक्टूबर 2003 को तीस हजारी-इंद्रलोक, 31 मार्च 2004 को इंद्रलोक-रिठाला और 4 जून 2008 को शाहदरा-दिलशाद गार्डन के बीच इस लाइन के खंड खोले गए। दिल्ली मेट्रो आगे चलकर राष्ट्रीय राजधानी के लिए वरदान साबित हुई। अटल बिहारी वाजपेई के इस फैसले ने दिल्ली जैसे भीड़ भरे शहर में करोड़ों लोगों को सुकून दिया।
आज 350 किलोमीटर लंबे नेटवर्क पर 30 लाख लोगों का सफर
आज दिल्ली मेट्रो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की लाइफ लाइन बन चुकी है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसका नेटवर्क दिल्ली समेत गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा, बहादुरगढ़ और बल्लभगढ़ तक करीब 350 किलोमीटर लंबा हो चुका है। रोजाना इस शहरी यातायात सेवा का फायदा 30 लाख से ज्यादा लोग उठा रहे हैं। नेटवर्क के 10 रूट 348.12 किलोमीटर (216.31 मील) की कुल लंबाई के साथ 255 स्टेशनों पर आम आदमी को वर्ल्ड क्लास सेवाएं मिल रही हैं। यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी और व्यस्ततम मेट्रो रेल प्रणाली है। कोलकाता मेट्रो के बाद दूसरी सबसे पुरानी है। सिस्टम में ब्रॉड-गेज और स्टैंडर्ड-गेज दोनों का उपयोग करके भूमिगत, एटी-ग्रेड और एलिवेटेड स्टेशन हैं।
सूरज साथ छोड़ता है लेकिन दिल्ली मेट्रो नहीं
दिल्ली मेट्रो प्रतिदिन 5:00 बजे से शुरू हो जाती है और रात 23:30 बजे सेवाएं समाप्त करती है। प्रतिदिन इस नेटवर्क की 336 ट्रेन 2,700 से अधिक फेरे लगाती हैं। दिल्ली एनसीआर के लोगों को औसतन हर 3 मिनट बाद इसकी सेवा मिलती है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DMRC) सर्विस प्रोवाइडर है। यह भारत सरकार और दिल्ली सरकार की समान इक्विटी भागीदारी वाली कंपनी है। डीएमआरसी को 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने मेट्रो रेल और रेल-आधारित प्रणाली के रूप में प्रमाणित किया गया था। यह तमगा हासिल करने वाली दिल्ली मेट्रो दुनिया की पहली और इकलौती अर्बन मास ट्रांजिट सर्विस है। जिसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट हासिल हुआ।
दिल्ली को सवारने में मेट्रो ने सबसे बड़ा सहयोग किया
दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले कारोबारी विनोद शर्मा कहते हैं, "भरसक प्रयास और बेहतर तकनीक इस्तेमाल करने के बावजूद आज दिल्ली शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। मेट्रो आने से पहले हालात और ज्यादा बुरे थे। दिल्ली के एक छोर से दूसरे छोर तक महज 30-40 किलोमीटर की यात्रा करने में लोगों को पूरा दिन लग जाया करता था। मैं उस वक्त नांगलोई के पास प्रेम नगर इलाके में रहता था और मेरा काम का जखीरा चारा मंडी में था। सुबह प्रेम नगर से जखीरा जाना और शाम को वापस लौट कर आना बहुत ज्यादा कष्टकारी था। मेट्रो ने शहर में यात्राओं को सुगम बनाया है। सड़कों की भीड़ को बड़ी हद तक कम किया है।"
दिल्ली की सभी मेट्रो लाइन के बारे में
Line
Stations
Length KM
1
Red Line
29
34.55
2
Yellow Line
37
49.02
3
Blue Line
50
56.11
4
Green Line
24
28.59
5
Violet Line
32
28.79
6
Orange Line
6
22.07
7
Pink Line
38
59.24
8
Magenta Line
25
37.46
9
Grey Line
04
5.19
दिल्ली में यात्रा करने वालों की नाक हो जाती थीं काली
संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक दिल्ली मेट्रो हर साल शहर में 6,30,000 टन कार्बन उत्सर्जन होने से रोकती है। प्रदूषण हटाने के तथ्य को शहर के निवासी भी मानते हैं। द्वारका में रहने वाली मीनू सिंह लंबे अरसे से कनॉट प्लेस की एक कंपनी में मानव संसाधन विभाग की कर्मचारी हैं। उनका कहना है, "जब मेट्रो नहीं आई थी तो डीटीसी या प्राइवेट बसों का इस्तेमाल करना पड़ता था। सफर बेहद कष्टकारी, उबाऊ-थकाऊ और भीड़ भरा था। प्रदूषण की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि घर से दफ्तर या दफ्तर से घर पहुंचते-पहुंचते नाक काली हो जाया करती थी। नाक साफ करते वक्त गहरा काले रंग का स्वैब निकलता था। अब दिल्ली मेट्रो की बदौलत हालात बदले हैं।" दिल्ली मेट्रो में रैपिड मेट्रो गुड़गांव के साथ एक साझा टिकट प्रणाली विकसित की और नोएडा मेट्रो के साथ इंटरचेंज हैं। 22 अक्टूबर 2019 को डीएमआरसी ने आर्थिक रूप से संकटग्रस्त रैपिड मेट्रो गुड़गांव के संचालन को अपने हाथ में ले लिया। यह रैपिड मेट्रो दिल्ली शहर के लोगों को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से जोड़ती है। कोरोनावायरस महामारी आने से पहले साल 2019 में दिल्ली मेट्रो के वार्षिक यात्रियों की संख्या 179 करोड़ थी। मतलब, उस साल रोजाना 49,04,000 से ज्यादा लोगों ने मेट्रो से यात्राएं की थीं।