गाजियाबाद : लॉकडाउन में बंद थीं दुकानें, फिर भी दोगुना आया बिल

गाजियाबाद | 3 साल पहले |

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लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर पिछले डेढ़ माह से सभी प्रकार की दुकानें बंद हैं। इसके बाद भी इन दुकानदारों के पास विद्युत निगम की तरफ से जो बिल भेजे गए हैं उससे व्यापारियों की मुसीबत बढ़ गई है। बंदी के दौरान उन्हें जो बिल मिला है वह सामान्य दिनों की अपेक्षा डेढ़ से दोगुना तक ज्यादा है। जबकि डेढ़ महीने के दौरान दुकानें खुली ही नहीं है। 

कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने पूर्ण रूप से लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया था और व्यापारी वर्ग ने लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भारी नुकसान उठाकर अपनी व्यापारिक गतिविधियों को रोककर हमेशा की तरह देश और समाज के लिए योगदान दिया। लेकिन इस संकटकाल में जबकि व्यापारी वर्ग कठिन आर्थिक परिस्थितियों से गुजर रहा है, बिजली निगम ने बिजली बिल के निर्धारण की जो प्रक्रिया और नीति अपनाई है। उससे व्यापारी वर्ग में भारी रोष और कष्ट है। 

शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग के नेतृत्व में पंकज (मुख्य अभियंता) बिजली निगम, उत्तर प्रदेश के नाम ज्ञापन प्रमोद कुमार (अधीक्षण अभियंता) को सौंप कर व्यापारियों की राहत देने की मांग की। अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग ने कहा लॉकडाउन की अवधि के जो बिजली बिल विभाग द्वारा व्यापारियों और प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं। उनमें भारी त्रुटि है और बिल की राशि सामान्य समय में आने वाले बिल की राशि से भी कहीं अधिक है। विद्युत विभाग में अलग-अलग स्तर पर इस ओर ध्यान दिलाने पर भी कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इससे विद्युत विभाग का उदासीन व्यवहार प्रकट हो रहा है। 

व्यवहारिक रूप से तो लॉकडाउन सरकार द्वारा लगाई गई प्रक्रिया थी, जिसका पालन करते हुए व्यापारी वर्ग ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। अत: लॉकडाउन अवधि के बिजली बिल से व्यापारी वर्ग को राहत मिलनी चाहिए। इस मौके पर अशोक शर्मा (जिला महामंत्री), संजय शर्मा (जिला उपाध्यक्ष), सुनील चौधरी (महानगर उपाध्यक्ष), नरेश कुमार (राकेश मार्ग इकाई अध्यक्ष), बलदेव सिंह, कमल कुमार गर्ग आदि सभी व्यापारी मौजूद रहे।

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