Ghaziabad News : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और बिल्डर के बीच मिलीभगत का खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर 9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में 110 फ्लैट स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त बनाकर बिल्डर द्वारा बेचने का मामला सामने आने पर जीडीए अधिकारी ने जांच बैठा दी लेकिन सरकारी जांच कुछ दिन बाद ही ठंडा बस्ती में डाल दी गई। जांच में अधिकारी यह पता लगाने में नाकाम रहे कि बिल्डिंग निर्माण की समय अवधि के दौरान सब जोन में विभाग के किन अधिकारियों की तैनाती रही। एक दूसरे को बचाने की कोशिश में लगे अधिकारियों ने अब पूरे मामले को ठंडा बस्ती में डाल दिया है।
वैशाली में सुपरटेक बिल्डर ने बना दिए अतिरिक्त फ्लैट
गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर 9 में स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में बिल्डर ने 2003-04 में सोसायटी बनाने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में नक्शा स्वीकृत के लिए आवेदन किया था इस दौरान जीडीए द्वारा 247 फ्लैट बनाने की स्वीकृति दी गई थी लेकिन बिल्डर ने 247 की जगह नक्शे के विपरीत 357 फ्लैट का निर्माण कर दिया। इस दौरान 110 अतिरिक्त फ्लैट का निर्माण किया गया। नियमानुसार ग्रीन बेल्ट में जितनी जमीन बिल्डर के द्वारा छोड़ी जानी थी वह नहीं छोड़ी गई और ग्रीन बेल्ट पर भी निर्माण कर दिया गया।
जांच कमेटी पर उठ रहे सवाल
सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में नक्शे के विरुद्ध बने अतिरिक्त 110 फ्लैट की शिकायत लेकर रेजिडेंट जीडीए के सचिव राजेश कुमार सिंह से मिले। रेजिडेंट की शिकायत पर जीडीए सचिव ने एक जांच कमेटी बनाकर जांच करने के आदेश दे दिए। बता दें कि सोसायटी में बने अतिरिक्त 110 फ्लैट को बिल्डर द्वारा बेच दिया गया है। इस मामले की जांच कर रहे जीडीए के अधिकारियों की जांच आगे बढ़ती इससे पहले ही वे यह पता लगाने में असफल रहे कि बिल्डिंग बनने की समय अवधि के दौरान सब जोन में किन अधिकारियों की तैनाती थी। जांच अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार का विभाग में कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते अब पूरी जांच ठंडे बस्ते में चली गई है।
रेजिडेंट उठा रहे आवाज
इस दौरान बिल्डर ने सोसायटी में ग्रीन बेल्ट की भूमि पर भी निर्माण कर दिया। जिसके चलते सोसायटी में नियमानुसार ग्रीन बेल्ट की भूमि भी नहीं बची है। इस पूरे मामले को लेकर सुपरटेक एस्टेट सोसायटी के रेजिडेंट लगातार आवाज उठा रहे हैं। उनका कहा है कि सोसायटी में बने अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण की वजह से उन्हें प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि जिन जीडीए के कर्मचारियों की देखरेख में यह पूरा निर्माण किया गया है उन्हे सजा मिलनी चाहिए।