Greater Noida News : यमुना प्राधिकरण के मास्टर प्लान से बाहर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की जमीन खरीद के मामले में जांच का दायरा बढ़ गया है। प्राधिकरण की इस बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी, उस बैठक में शामिल अधिकारियों तक जांच की आंच पहुंचेगी। मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने के लिए बोर्ड बैठक में फैसले कैसे लिए गए थे? यह जानकारी उन अफसरों से मांगी जाएगी। बोर्ड बैठक में शामिल अधिकारियों की गर्दन फंस सकती हैं।
शातिर ढंग से प्रस्ताव पास करवाया गया
यमुना प्राधिकरण में सूत्रों से पता चला है कि मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने के लिए बड़ी चालाकी से काम लिया गया। प्रस्ताव बनाकर बोर्ड बैठक में चालाकी से पास कराया गया। यह जमीन मथुरा, हाथरस के अलावा बुलंदशहर के जहांगीरपुर और वैलाना गांवों में खरीदी गई थी। इस जमीन खरीद से यमुना प्राधिकरण को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का नुकसान हुआ है। बड़ी बात यह है कि प्राधिकरण उस वक्त तंगहाली में था। जमीन खरीदने के लिए नोएडा प्राधिकरण और कई बैंकों से कर्ज लिया गया था।
कौड़ियों में जमीन खरीदी और करोड़ों में बेची
इस जमीन को खरीदने से पहले यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपने नाते, रिश्तेदार, भाई-भतीजे, पत्नी और सालों के नाम पर किसानों से बेहद कम रेट पर खरीद की थी। इसके बाद ही जमीन को यमुना प्राधिकरण में 4 गुना मुआवजा देकर खरीद लिया था। वित्त विभाग से यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने साठगांठ करके मुआवज़े की रक़म के चैक 30-30 लाख रुपए से कम क़ीमत के बनवाए थे। जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रडार पर आने से बचा जा सके। इन जमीनों को खरीदने के लिए जिन अखबारों में विज्ञापन निकलवाए गए थे, वह गुमनाम अखबार हैं। उनका कहीं सर्कुलेशन नहीं है।
गुमनाम अख़बारों में छपवाई सूचना
यमुना प्राधिकरण के वित्त विभाग से जांच में पता चला है कि इन दोनों न्यूज़ पेपर को विज्ञापन का पैसा भी अधिकारियों ने अपनी जेब से दिया था। अब वित्त विभाग के चार अधिकारी पुलिस की रडार पर आ गए हैं। जांच में बोर्ड बैठक में शामिल उन अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजे जाएंगे, जिन्होंने जमीन अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। इस तरह प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत कई बड़े आईएएस अधिकारी इस घोटाले में फंस सकते हैं।