Greater Noida/New Delhi : ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्था (GIMS Greater Noida) को बड़ी कामयाबी मिली है। इंस्टिट्यूट एक महत्वकांक्षी परियोजना पर काम कर रहा है। जिसके तहत आपातकालीन परिस्थितियों में ड्रोन के जरिए मरीजों तक खून पहुंचाया जा सकेगा। ब्लड टेस्ट के लिए सैंपल भी दुर्गम इलाकों से उठाकर अस्पतालों तक लाए जा सकेंगे। संस्थान में पैथोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर और ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ.शालिनी बहादुर के प्रोजेक्ट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मंजूरी दे दी है। यह एक शोध कार्य है। इसके शुरुआती टेस्ट कामयाब रहे हैं। अब आईसीएमआर इस कंसेप्ट को धरातल पर उतारने के लिए वित्तीय पोषण देगा।
तीन संस्थान मिलकर प्रोजेक्ट पर काम करेंगे
ग्रेटर नोएडा जिम्स के निदेशक डॉक्टर ब्रिगेडियर राकेश गुप्ता ने बताया "परियोजना के परीक्षण सफल रहे हैं। नागालैंड और मणिपुर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में इस परियोजना के जरिए टीकों का वितरण किया है। इसकी व्यवहार्यता पुष्टि होने के बाद आईसीएमआर ने 3 प्रतिष्ठित केंद्रों को शामिल करते हुए एक संयुक्त परियोजना को मंजूरी दी है। जिसके माध्यम से आवश्यक और आपातकालीन रक्त आपूर्ति की जाएगी। ड्रोन के जरिए रक्त की थैलियों के वितरण के लिए पूरी प्रक्रिया को विकसित किया जाएगा। आईसीएमआर ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। दिल्ली का लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा का गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और नोएडा का जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी साथ मिलकर काम करेंगे।
ड्रोन से बेहद कम वक्त में जरूरतमंद को मिलेगी मदद
जिम्स के निदेशक ने कहा, "आईसीएमआर ने सामान्य परिवहन की पारंपरिक विधि की तुलना में ड्रोन के माध्यम से रक्त बैग के डिस्ट्रीब्यूशन को मान्यता" नामक परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी दे दी है। कॉलेज रक्त के बैग देगा। जिनका परीक्षण विभिन्न प्रकार के हीमेटोलॉजिकल और जैव रासायनिक गुणवत्ता मापदंडों के लिए किया जाएगा। ड्रोन के माध्यम से आपूर्ति में संपूर्ण रक्त, पैक्ड लाल कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और ताजा जमे हुए प्लाज्मा शामिल हैं। जेपी इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी ड्रोन का विकास करेगा। आईसीएमआर ने वित्त पोषण दिया है।" डॉ.राकेश गुप्ता ने आगे कहा, "यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। हमारा काम यह सुनिश्चित करना है कि ड्रोन के जरिए रक्त की थैलियां सामान्य साधनों के मुकाबले कम वक्त में जरूरत वाली जगह पहुंचाई जा सकें। गुणवत्ता मानकों में कोई बदलाव नहीं आए।"
तीनों संस्थानों को सफलता का पूरा भरोसा
प्रोजेक्ट के लिए जांचकर्ताओं की टीम में डॉ.(ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता, गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की डीन डॉ.रंभा पाठक शामिल हैं। डॉ.शालिनी बहादुर प्रमुख अन्वेषक हैं। वह जिम्स में प्रोफेसर पैथोलॉजी हैं और ब्लड बैंक की प्रभारी हैं। प्रोजेक्ट पर पहले से काम चल रहा है। इन तीनों संस्थानों का मानना है कि अनुकूल परिणाम आएंगे। आईसीएमआर के डॉ.कुलदीप निगम ने प्रोफेसर शालिनी बहादुर को जानकारी दी। उन्होंने मेल करके बताया कि उनके प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है। आईसीएमआर इसका वित्त पोषण करेगा।