गौतमबुद्ध नगर किसान आंदोलन : पुलिस के रोके जाने पर थाने में डाला डेरा, बोले- अब नहीं छोड़ेंगे

Tricity Today | थाने में मौजूद किसान



Greater Noida News : गौमतमबुद्ध नगर में किसानों की गिरफ्तारी के बाद आंदोलन तेज हो गया है। बुधवार को ग्रेटर नोएडा के जीरो पाइंट जा रहे अलीगढ़ के किसानों को पुलिस ने टप्पल में ही रोक लिया। गुस्साए किसानों ने इसके बाद टप्पल थाने में ही डेरा दिया और धरना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि सरकार पुलिस को आगे कर उनकी आवाज को दबाना चाहती है। लेकिन किसान डरने वाला नहीं है। अब वह थाने में बैठकर धरना दे रहे हैं। पुलिस अब या तो उन्हें गिरफ्तार करे या फिर ग्रेटर नोएडा जाने दे।

पुलिस कार्रवाई पर भड़के किसान 
सोमवार को किसानों ने संसद कूच का ऐलान किया था, लेकिन नोएडा में पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद, मंगलवार को नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल से बड़ी संख्या में किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस कार्रवाई के विरोध में BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ग्रेटर नोएडा में पंचायत का ऐलान किया था। बुधवार को राकेश टिकैत जब अलीगढ़ के टप्पल से पंचायत में शामिल होने के लिए रवाना हुए, तो उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया। टिकैत की गिरफ्तारी पर गौरव टिकैत ने कहा, “यह पूरी तरह तानाशाही है। किसानों को अपनी समस्याएँ उठाने का संवैधानिक अधिकार है। सरकार बातचीत की बजाय लाठीचार्ज और जेल के जरिए समस्या का समाधान खोज रही है, जो कभी संभव नहीं होगा।”

तीन वर्षों से कर रहे आंदोलन
पिछले तीन वर्षों से गौतमबुद्ध नगर के की नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इन तीन वर्षों में सरकार ने हर बार किसानों को आश्वासन दिया और मांगों पर विचार करने की बात कही। लेकिन आज तक कुछ नहीं हो पाया है। किसानों का कहना है कि इस बार आश्वासन से काम नहीं चलेगा। इस बार किसान अपना हक लेने आया है और लेकर ही जाएगा। सरकार को पुलिस को आगे कर उन्हें नहीं डरा सकती। इस बार आर-पार की लड़ाई होगी।

किसानों की मुख्य मांगें 
    1.अधिग्रहित जमीन के बदले किसानों को ज़मीन वापस दी जाए।
    2.मुआवजे में 64.7% अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाए।
    3.भूमि अधिग्रहण 2013 कानून के तहत लाभ दिए जाएं।
    4.भूमिहीन किसानों को आवासीय भूखंड और बेरोजगार युवाओं को कंपनियों में नौकरी दी जाए।
    5.स्थानीय स्कूलों और अस्पतालों में किसानों के परिवारों को प्राथमिकता दी जाए।

अन्य खबरें